कामवाली की चुत और मेरे लंड का महाभारत -Desi sex story
हेल्लो दोस्तों मैं धनुष कुमार आप सभी का antarvasna sex story में बहुत बहुत स्वागत करता हूँ। मैं पिछले कई सालों से antarvasna sex story का नियमित पाठक रहा हूँ और ऐसी कोई रात नही जाती तब मैं इसकी रसीली चुदाई कहानियाँ नही पढ़ता हूँ।
आज मैं आपको अपनी स्टोरी सूना रहा हूँ। मैं उम्मीद करता हूँ कि यह कहानी सभी लोगों को जरुर पसंद आएगी। ये मेरी जिन्दगी की सच्ची घटना है।
मेरा घर गुजरात के कीर्ति नगर में पड़ता है। दोस्तों मेरी कामवाली बहुत ही बहुत ही खूबसूरत लड़की थी। बेचारी गरीब थी। अभी तक इसी वजह से उसकी शादी भी नही हो पायी थी। वो मेरे घर का सारा काम करती थी।
धीरे धीरे मुझे वो अच्छी लगने लगी। उसका नाम सूफ़िया था। उसके घर वाले बहुत गरीब थे इसलिए उसे कामवाली का काम करना पड़ता था। वो मेरे घर में खाना बनाती, पोछा लगाती और साफ सफाई करती थी।
जैसे जैसे दिन बीतने लगे वो मुझे और जादा हॉट और सेक्सी माल लगने लगी। हमारे मोहल्ले में जहाँ और नौकरानियों को सिर्फ 5 हजार मिलते थे,मैं उसे 7 हजार देता था। सूफ़िया बहुत ही मेहनत कश लड़की थी।
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उसके हाथ बहुत तेज चलते थे। मेरा उसकी चूत मारने का बहुत मन कर रहा था। एक दिन जब वो मेरे कमरे में फर्श पर पोछा लगा रही थी तो मुझे उसके 34” के मम्मे दिख रहे थे।
फिर सूफ़िया ने अचानक मुझे पकड़ लिया की मैं उसकी जवानी को ताड़ रहा हूँ। मैंने नजरे दूसरी तरह घुमा ली। वो हमारे घर में सारा काम करती, फिर बाथरूम में जाकर नहा लेती थी।
मैं कई बार बाथरूम की खिड़की से उसे छिपकर देखता था। दोस्तों मेरा तो लंड ही खड़ा हो जाता था। ओह्ह्ह्ह गॉड!! क्या गजब का मनमोहक जिस्म था उसका। थी तो नौकरानी पर अंदर से बिलकुल रानी थी।
मैंने उसे कई बार नहाते हुए देखा था। वो बाथरूम में खड़ी होकर शावर में नहाती थी। उसके भीगे काले घने वालों पर पानी गिरता तो सूफ़िया और जादा सेक्सी और हॉट माल लगती थी।
वो जब अपनी चूचियों पर साबुन मलती तो देखकर मेरा लंड ही खड़ा हो जाता था। मैंने उसे कई बार बाथरूम में नंगी नहाते हुए देखा था। जब वो अपनी 34” की चूचियों पर साबुन लगाती तो मेरा मन करता कि इस माल को अभी जाकर चोद लूँ। धीरे धीरे मेरा उसे चोदने का बहुत मन करने लगा था।
एक दिन मैंने अपनी कामवाली सूफ़िया का हाथ पकड़ लिया और उसे किस करने लगा तो वो बिगड़ गयी। “साब जी, मैं गरीब जरुर हूँ पर जिस्म का धंधा नही करती। मेहनत करके खाती हूँ” सूफ़िया बोली“पगली जैसा तू सोच रही है वैसा नही है। मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ” मैंने कहा कुछ दिन बाद नाग पंचमी का त्योहार था। मैं बजार से 2 नए सलवार सूट खरीद लिए और सूफ़िया को गिफ्ट कर दिए।
धीरे धीरे वो भी मुझे चाहने लगी और मेरा काम बन गया। जब वो किचेन में चाय बना रही थी मैं पहुच गया। मैंने उसे पकड़ लिया और उसके होठो पर किस करने लगा। धीरे धीरे उसे भी अच्छा लगने लगा।
वो भी मेरे होठ चूसने लगी। हम दोनों गर्म हो गये थे। तभी पता नही कहाँ से मेरी माँ आ गयी और हम लोगो को अलग अलग होना पड़ा। “दोपहर को चत पर मिल!!” मैं अपनी कामवाली सूफ़िया से कहा ठीक 2 बजे तो घर की चत पर आ गयी थी।
यहाँ पर मेरी मम्मी नही आती थी। वो नीचे ही रहती थी क्यूंकि उनको सीढ़ी चढ़ना मना था। यहाँ चत पर मैं अपनी कामवाली की चूत आराम से मार सकता था। जैसे ही सूफ़िया आ गयी मैंने उसे पकड़ लिया।
दोस्तों हमारे घर की छत बहुत बड़ी थी। एक छोटा सा स्टोर रूम वहां बना हुआ था। मैं सूफ़िया को वहां ले गया। एक लम्बी मेज पर हम दोनों बैठ गये।
मैंने सूफ़िया को बाहों में भर लिया और उसके गुलाबी होठ चूसने लगा। उफफ्फ्फ्फ़……!!! कितने सेक्सी होठ थे उसके। मैंने 15 मिनट उसके रसीले होठ चूसे।
तू मुझसे प्यार करती है???” मैंने सूफ़िया से पूछा “हाँ करती हूँ” वो बोली उसके बाद हम फिर से चुम्मा चाटी करने लगे। मेरा हाथ सूफ़िया की सलवार की तरह चला गया।
मैं सलवार के उपर से उसकी चूत पर हाथ लगा दिया। ओह्ह तेरी की!! आज उसने चड्ढी नही पहनी थी।“तूने आज चड्ढी नही पहनी???” मैंने पूछा “वो… मेरी चड्ढी फट गयी है।
नई खरीदनी है” सूफ़िया बोली “माँ की लौड़ी मुझसे पैसे नही मांग पा रही थी। अपनी माँ मत चुदाया कर। मुझे पैसे मांग लिया कर। तुझसे प्यार करता हूँ। क्या मैं तेरे लिए इतना भी नही कर सकता??
मैंने कहा उसके बाद मैं जल्दी जल्दी मैं अपनी कामवाली की चूत सहलाने लगा। सूफ़िया ने मुझे पकड़ लिया और मेरे सीने से चिपक गयी। वो मेरी गोद में बैठ गयी थी।
मैंने उसके पैर खोल दिए। उसकी सलवार के उपर से मैं जल्दी जल्दी उसकी चूत सहलाने लगा। सूफ़िया को गर्म गर्म लग रहा था। वो चुदासी हो रही थी। उसकी उम्र अभी 16 साल थी। अभी वो जवान लौंडिया थी।
मेरे हाथ रुकने का नाम नही ले रहे थे। जल्दी जल्दी मैं उसकी चुद्दी को घिस रहा था। उसकी जवान और भरी भरी चूत की दरारे मैं अपनी ऊँगली से महसूस कर रहा था। शायद वो 1 दो बार चुदी हुई थी।
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हम दोनों फिर से किस करने लगे। उसके गुलाबी ताजे होठो को पीकर मुझे जन्नत का मजा मिल गया था। मैंने अपनी कामवाली के बालों में हाथ डाल दिया। उसके बालों में लगे क्लिप को मैंने हटा दिया।
सूफ़िया के बाल खुल गये। मै उसके बालों में उपर से नीचे हाथ घुमाने लगा। वो बेहद खूबसूरत लग रही थी। मैंने उसकी आँखों को कई बार चूमा। वो चोदने लायक परफेक्ट माल थी।
मैंने अपनी पैंट की चेन खोल दी। अन्दरविअर को उचकाकर मैंने अपना मोटा 8 ” का लौड़ा निकाल लिया और सूफ़िया के हाथ में दे दिया। “नही साहब गंदा लगता है|
सूफ़िया बोली “माँ की लौड़ी!! एक बार हाथ में ले तो। तुझे अच्छा लगेगा। फिर मुझसे रोज मांगेगी!” मैंने कहा और जबरन अपना लौड़ा उसके हाथ में रख दिया।धीरे धीरे सूफ़िया मेरे लौड़े को फेटने लगी।
उसे अच्छा लगने लगा। हम दोनों फिर से किस करने लगे। काफी देर तक सूफ़िया ने मेरे लंड को फेटा। मुझे बहुत मजा मिला। उसके बाद मैंने उसको नंगी होने को कहा।
सूफ़िया ने अपना कमीज और सलवार निकाल दी। आज तो उसने ब्रा भी नही पहनी थी। मैंने अपनी टी शर्ट और लोअर निकाल दिया। हम दोनों पूरी तरह से नंगे हो गये थे।
मैंने अपनी कामवाली सूफ़िया को उस लम्बी मेज पर लिटा दिया। ये मेज इतनी लम्बी थी की हम दोनों इस पर आराम से चुदाई कर सकते थे। मैं भी उस पर चढ़ गया। उसके मम्मे बेहद खूबसूरत थे।
इतनी हरी भरी छातियों को देखकर मेरे मुंह में पानी आया था। मैंने सूफ़िया की उफनती छातियों को हाथ में ले लिया और तेज तेज दबाने लगा। सूफ़िया “ हूँउउउ हूँउउउ हूँउउउ ….ऊँ—ऊँ…ऊँ सी सी सी सी… हा हा हा.. ओ हो हो….” की सिस्कारियां लेने लगी।
उसकी चूचियां बहुत ही भरी हुई थी। मेरा तो देखकर ही दिमाग खराब हो गया था। मैं रसीली चूचियों के चारो ओर काले काले बड़े बड़े सेक्सी घेरे तो बहुत ही हॉट लग रहे थे।
मैंने बड़ी देर तक उसके गोलों पर जीभ लगाई। फिर मैंने सूफ़िया की बायीं चूची को मुंह में भर लिया और चूसने लगा। ओह्ह गॉड!! कितना मजा आया मुझे। मैंने उसकी चूची को पूरा अंदर तक मुंह में ठूस लिया और तेज तेज चूसने लगा।
सूफ़िया भी मजे लेकर चूसा रही थी। मैं अपना मुंह चलाकर उसके दूध पी रहा था। सूफ़िया इतनी चुदासी हो गयी की खुद ही अपने सीधे हाथ से जल्दी जल्दी अपनी चूत को सहलाने लगे। वो चुदने को पागल हो रही थी।
वो भी मेरी तरह जवान थी और आज कसके चुदना चाहती थी। मैं सूफ़िया के बूब्स को कस कसके दबाता और चूसता। वो बार बार अपनी चूत में ऊँगली करती। हम दोनों ने भरपूर मजा लिया।
मैंने आधे घंटे उसकी चूची चूसी और निपल पर दांत से काट भी लिया। उसके बाद वो महान पल आ गया जब मैं अपनी कामवाली को चोदने वाला था। जब मैं उसकी गर्म चूत में अपना लम्बा लंड डालने वाला था।
मैंने मेज पर सूफ़िया को बिलकुल सीधा लिटा दिया। उसके कपड़े को गोल गोल मोड़कर मैंने उसके सिर के नीचे तकिया की तरह लगा दिया। उसके दोनों पैर मैंने खोल दिए। ओह्ह्ह गॉड!! उसकी भरी हुई गुलाबी चुद्दी [चूत] के दर्शन मुझे हो गये थे।
कितनी भरी चूत थी उसकी। मैंने नीचे झुक गया और जल्दी जल्दी उसकी बुर चाटने लगा। धीरे धीरे मुझे भरपूर मजा आने लगा। मैं जल्दी जल्दी उसकी बुर को अपना मुंह लगाकर पीने लगा।
सूफ़िया “उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआ… सी सी सी सी….. ऊँ—ऊँ…ऊँ….” की आवाज निकालने लगी। उसका चेहरे अजीब तरह से बदल रहा था। उसकी चूत में सनसनी मच गयी थी। मैं किसी आवारा कुत्ते की तरह उसकी चूत को चाट रहा था। उसकी चूत की एक एक फांक बहुत गुलाबी थी।
मैं तो बाँवला हो गया था। मैं चूत को जल्दी जल्दी नीचे से उपर तक चाट रहा था। इस तरह से मैंने भरपूर मजा ले लिया था। सूफ़िया बहुत चुदासी हो गयी थी। वो अब जल्दी से मेरा मोटा लंड खाना चाहती थी।
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उसके चूत के दाने को दांत से पकड़कर काट लेता और अपनी तरफ खीच लेता। सूफ़िया को बहुत नशा चढ़ जाता। उसकी चूत बिलकुल मलाई की तरह मुलायम और सॉफ्ट थी।
मैं मजे लेकर चाट रहा था। फिर मैंने उसके पैर खोल दिए और चूत में लंड डाल दिया। फिर मैं जल्दी जल्दी अपनी कामवाली सूफ़िया को चोदने लगा। किसी चुदासी छिनाल की तरह मैं उसकी दोनों दूधिया जांघे मैंने एक के उपर क्रोस करके रख दी और दोनों पैरो को कसके हाथ से पकड़ के पक पक सूफ़िया को चोदने लगा।
किसी चुदासी छिनाल की तरह मैं उसकी दोनों दूधिया जांघे मैंने एक के उपर क्रोस करके रख दी और दोनों पैरो को कसके हाथ से पकड़ के पक पक सूफ़िया को चोदने लगा।
दोंनो टांगो को क्रोस करके रखने से उसकी चूत उपर की तरफ फूल गयी थी और उसमे मुझे बड़ी गहरी पकड़ मिलने लगी और मैं गचागच उसको चोदने लगा। हम दोनों सेक्स में इतने भूखे थे की सूफ़िया को पता ही नही चला की कब उसकी चूत में मेरा लंड घुस गया।
ये उसे पता ही नही चला। मैं घपाघप ठोंक रहा था। मैं जोर जोर से अपने धक्के लगा रहा था। सूफ़िया मेरा विशाल लंड खा रही थी और मजे से चुदवा रही थी। सूफ़िया गर्म सांसे ले रही थी।
मेरी कामवाली सूफ़िया कामवाली कांपने लगी और उनका जिस्म थरथराने लगा। फिर मैं जोर जोर से उसका चूत का दाना घिसने लगा और उसकी रसीली चूत में लंड अंदर बाहर करने लगा।
सूफ़िया उतनी ही मस्त होने लगी। हम दोनों मेज पर ही लेटकर सेक्स कर रहे थे। मेज इतनी बड़ी थी की अब आराम से चुदाई का मजा ले सकते थे। वो अपनी कमर उठाने लगी। उसको जैसे मदहोसी छा रही थी।
वो अपने दूध को खुद अपने हाथो से जोर जोर से दबाने लगी और अपने मम्मे अपने मुँह की तरफ झुकाकर खुद जीभ से चाटने लगी। ऐसा करते हुए वो एक परफेक्ट चुदासी कुतिया लग रही थी।
मैं जल्दी जल्दी सूफ़िया को चोद रहा था। आह दोस्तों, बहुत मजा आ रहा था। मैं इस समय जैसे जन्नत में पहुच गया था। कामवाली मुझे अभूतपूर्व सुन्दरी लग रही थी। उसने अपनी दोनों टाँगे मेरी कमर में लपेट दी और दोनों हाथ मेरी पीठ में डाल दिए और मस्ती से “उ उ उ उ ऊऊऊ ….ऊँ…ऊँ…ऊँ अहह्ह्ह्हह सी सी सी सी.. हा हा हा…”करके चुदवाने लगी।
उसकी ये नशीली चीखे सुनकर मैं वासना का पुजारी बन बैठा था। मेरे अंदर का शैतान जाग चुका था। मेरी आँखे सेक्स और वासना से एकदम लाल और क्रुद्ध हो गयी थी।
हम दोनों लेटकर काण्ड कर रहे थे। उसकी चूत बड़ी भरी हुई थी लाल लाल थी। जैसी कोई रसीली चाशनी वाली गुझिया मैं खा रहा था। मेरा लंड जल्दी जल्दी उसकी दुग्गी में फिसल रहा था।
मुझे किसी तरह की कोई दिक्कत नही हो रही थी उसकी फुद्दी मारने में। कुछ देर बाद मैंने अपना पानी उसकी चूत में ही छोड़ दिया। हम दोनों के पसीना छूट गया था। हमारी चुदाई पूरी हो चुकी थी।
आज मैंने अपनी खूबसूरत और जवान कामवाली को चोद लिया था। फिर हम दोनों काफी देर तक मेज पर ही लेटे रहे। “साब!! क्या तुमसे मुझसे शादी करोगे???”
सूफ़िया बोली मैं चुप था क्यूंकि मेरा रहन सहन अलग था। मैं उस कामवाली से शादी कैसे कर सकता था। मैं चुप रहा और मैंने कुछ नही बोला। “साब मैं समझ गयी। कोई बात नही है।
मैं आपसे सच्चा प्यार किया है। जब आपका मन करे मुझे चोद लिया करना” सूफ़िया बोली उसके बाद हम फिर से किस करने लगे। अब वो मुझे और भी सेक्सी माल लगने लगी थी। वो बिना की शर्त के मुझसे चुदने को राजी हो गयी थी। मैं फिर से उसके होठ चूसने लगा।
सूफ़िया जान! और लंड खाना है??” मैंने पूछा साब आपका अगर और मन है तो मुझे चोद लो!” सूफ़िया किसी छोटी बच्ची की तरह बोली। मेरा लंड खड़ा हो गया था। मैंने उसके मेज पर ही घोड़ी बना दिया।
उसने अपना सिर मेज पर रख दिया और पिछवाडा उपर उठा दिया उफ्फ्फ्फ़!!….कितनी गदराई चूत थी उसकी। मैंने कई मिनट तक उसके गोल मटोल सफ़ेद पुट्ठे सहलाता रहा।
सच में सूफ़िया के पुट्ठे बहुत आकर्षक और मस्त माल थे। मैं उसके पुट्ठो पर हर तरफ हाथ लगा रहा था। मुझे बड़ा सुकून मिल रहा था। फिर मैं उसकी भरी और गदराई चूत को उपर से नीचे की तरह सहलाने लगा।
सूफ़िया “आऊ…..आऊ….हमममम अहह्ह्ह्हह…सी सी सी सी..हा हा हा..” की आवाज निकालने लगी। काफी देर तक मैं उसकी चूत पीछे से सहलाता रहा। वो घोड़ी बनी रही किसी चुदासी कुतिया की तरह।
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उसके बाद मैं अपनी कामवाली की चूत पीछे से चाटने लगा। मैं उसकी चूत का बहुत ही जादा प्यासा था। आज मैं उसकी चुद्दी में डूब जाना चाहता था। आज मैं उसकी चुद्दी में नहाना चाहता था।
मैंने अपनी ऊँगली से उसकी फटी चूत खोल दी और जल्दी जल्दी जीभ लगाकर चाटने लगा। दोस्तों मेरी कामवाली की चुद्दी बहुत खूबसूरत थी। कुछ देर बाद मैंने पीछे से अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया और उसे चोदने लगा।
पीछे से एक अलग तरह का मजा मुझे मिल रहा था। धीरे धीरे मेरे धक्को की स्पीड बढ़ गयी थी। सूफ़िया की चुद्दी से पट पट की आवाज आने लगी थी। मैं गहरे धक्के उसकी गुलाबी चूत में मार रहा था।
कुछ देर बाद वो “आई…..आई….आई… अहह्ह्ह्हह…..सी सी सी सी….हा हा हा…की आवाज निकालने लगी। 15 मिनट तक मैंने उसे चोदा। फिर झड गया। कहानी आपको कैसे लगी, अपनी कमेंट्स antarvasna sex story पर जरुर दे।
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