मलयाली चुत के उडाये चीथड़े(Malayalam Sex Story)
आज मैं आपको अपने से एक मलयाली लड़की चोदी गयी कहानी बताने जा रहा हूँ | मैं जनता हूँ की जब भी एक मलयाली लड़की के बारे में सोचते होंगे तो आपका लंड उसकी सांवली चुत की याद में तन जाया करता होगा | मेरा भी कुछ ऐसा हाल था और मैं पीछे ही साल किसी खास मौके से केरला गया था वहीँ मेरी सिंघुजा नाम की लड़की से मुलाकात हुई जोकि एक नो. की मलयाली थी | वो दिखने में तो काली थी पर उसके पास दो मोटे – मोटे चुचों की भरमार थी और मटकती चाल का दीवानापन | मैं तो देखते ही उसपर फ़िदा हो गया और कुछ ही दिनों में उससे बात आगे भी बढ़ा ली | उसने जब मुझसे मिलना चालु किया तो कई अपने घर में दही – चावल भी खिलाये जिसपर मैं उससे मस्करी करते हुए उससके हाथ से खानी की जिद्द किया करता था |
वो भी शर्मा जाती और समझती भी थी मैं उसकी चुत के लिए इतने पापड़ – बेल रहा था | मेरे केरला से वापस आने में अब कुछ ही दिन रह गए थे के मैंने अब उसे एक दिन शाम को वहाँ के बीच घुमाने ले गया और वहाँ से आते हुए हमें काफी देरी भी हो गयी जिसके कारण सिन्धुजा ने मुझे अपने ही घर रुक जाने के लिए कहा | मैं भी भला इतने हसीन मौके पर कैसे मना कर सकता था और उस रात के लिए वहीँ उसके घर पर ठहर गया | उस रात उसने मुझे फिर वहीँ दही – चावल खिलाये पर इस बार उसने मुझे खुद अपने हाथों से सारा खाना खिलाया और आखिर में अपने लबों से उसके हाथ चूम लिया करता जिसपर वो भी शर्मा जाती |
अब तक मैंने अपनी गाडी पूरी तरह से रोमांस के पटरी पर चढा चुकी थी | खाना के खाने के बाद हम वहीँ अंदर वाले बिस्तर पर बैठ कर बातें करने लगे और मैं बातों में उसके हाथ को पढ़ने के बहाने अपनी उंगलियों से सहलाने लगा | अब धेरे – धेरे वो भी गरमाने लगी और उसके रोम – रोम खड़े हो गए | उसने अपनी आँखें मीचते हुए दूसरी तरफ मुड़ा ली जिसपर मैंने आगे बढते हुए उसकी हथेली को चूम लिया और उसकी अआहह्ह्ह सी निकल पड़ी | मैं अब कहाँ रुकने वाला था मैंने उसकी मुंडी को अपनी तरफ मुडती हुए पहेली उसके उसके होठों के नीचे चूमा और फिर और फिर सीधा उसके होटों को चूमने लगा |
अब वो भी तैयार हो चुकी थी और मैं उसकी जुल्फों को खोलते हुए उसके सारे कपड़ों को खोलने लगा | वो शर्मा रही ही थी के मैंने उसको चुचों को भींचना शुरू कर दिया जिसपर वो भी अब रोक ना सकी अपने आप को और बस मुझे खुल्ला छोड़ दिया | मैंने अब उसे केवल पैंटी में नीचे बिस्तर पर लिटाकर उसके दुदों को पीने लगा और नीचे से उसकी पैंटी को भी बाजू में हटाते हुए उसकी चुत में उंगलियां घुमाने लगा | बस दोस्तों उसके बड़े – बड़े चुत के बाल बीच में आ रहे थे | मैंने किस भी ना परवाह करते हुए उसकी पैंटी भी कुछ देर में उतार दि और उसकी चुत में अपनी उँगलियों की तेज़ी भी बड़ा दि | मैंने अब बस अपने लंड को निकाला और कुछ देर अपने हाथों के बीच मलते हुए उसकी मस्तानी चुत में दे मारा |
मेरा लंड उसकी चुत में ढंग से घुसा नहीं था वो सिकारियां भरने लगी और इशार – उधर झटपटाने लगी | मैंने तभी उसकी झांघों को भींचते हुए खूब जोर – जोर के अपने लंड के झटके लगाने शुर कर दिया | अब कुछ पलों में मैं उसकी चुत बेगानों की तरह छोड़ रहा था जिसपर वो दर्द के मारे चींख रही थी | उसकी मलयाली चींखों को शायद उस वक्त सुनने वाला कोई ना था | दर्द काम होते ही हम पूरे तरह से अपने में खो गए और सुबह तक इसी तरह चुदाई का खेल खेलते रहे | मेरे केरला से वापस आने तक मैंने रोज उसकी चुत मारी और अगली बार से वो अपनी चुत के बाल भी साफ़ कर आई थी |