बड़ी गांड वाली सेक्सी ताई की कामुकता part-1 Desi Chudai
ये कहानी मेरे दोस्त की माँ और मेरी है कैसे मै ने अपनी ताई को पटा के चोदा चलते है | अब मेरी कहानी की ओर मैं गाँव की चौपाल पे बैठे हुए आसपास कुछ बुजुर्ग ताश खेल रहे थे तो कुछ लोग गप्पे लड़ा रहे थे मैं अपने दोस्त सूरज का इंतजार कर रहा था|
देर पे देर हो रही थी और ऊपर से वो अभी तक नहीं आया था दरअसल हमे कुछ काम से शहर जाना था उसने कहा था की दस बजे चलेंगे पर 11 से ऊपर हो गया था उसके दर्शन नहीं हुए थे|
हार कर मैं उसके घर की तरफ चला की देखू तो सही क्या माजरा है उसी गाने को गुनगुनाते हुए मैं उसके घर की तरफ बढ़ने लगा घर का दरवाजा तो खुला था पर कोई दिख नहीं रहा था तो मैं अन्दर गया उसके कमरे में देखा पर नहीं दिखा एक तो वैसे ही देर पर देर हो रही थी और ऊपर से ये सूरज पता नहीं कहा गायब था.
फिर मैंने सोचा की क्या पता मैं इधर आ गया और वो चौपाल की तरफ पहुच गया होगा तो मैं बस उसके कमरे से निकला ही था की मुझे चूडियो की आवाज सुनाई दी तो मैं साइड वाले कमरे की और बढ़ गया दरवाजा खुला ही था मैंने कमरे में झांका और जो देखा तो कसम से होश ही उड़ गए|
सूरज की मम्मी जो रिस्ते में मेरी ताई लगती थी बस कच्छी और ब्रा में ही खड़ी थी उसके कमर तक आते बालो से पानी टपक रहा था शायद अभी अभी नाहा के आई थी एक पल तो मुझे आया की निकल ले यहाँ से पर पता नहीं क्यों मैं हट नहीं सका वहा से|
ताई की पीठ मेरी तरफ थी जिसकी वजह से उसे पता नहीं था की मैं दरवाजे पर हु ताई ने गुलाबी ब्रा और काली कच्छी पहनी हुई थी जिसमे से उसके आधे से ज्यादा चुतड दिख रहे थे उफ्फ्फफ्फ्फ़ मैंने पहले कभी ऐसा कुछ नहीं देखा था तो दिमाग थोडा आउट सा हो गया|
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मेरी टांगो के बीच सुरसुराहट सी होने लगी कान गर्म होने लगे और साथ ही धडकनों में कुछ तेजी सी आ गयी ताई तौलिये से अपने चेहरे को पौंछ रही थी उसके हिलने से उसके चूतडो में थिरकन हो रही थी मैंने देखा की उसकी कच्छी चूतडो की दरार में कुछ फंसी सी थी|
कसम से कयामत ही लग रही थी ताई पीछे से मैं तो जैसे सबकुछ भूल गया था मैं किसलिए आया था यहाँ मुझे शहर जाना था सब बस ताई का हुस्न ही था जो अब मेरे सामने था ताई के बालो से टपकता पानी उसकी कच्छी को भिगो रहा था|
मैं ताई की चिकनी टांगो को देख रहा था पल भर में ही मैंने उसकी सुन्दरता का गुण गान कर लिया था मेरा हाथ अपने आप मेरे लंड पर पहुच गया जिसे मैंने थोडा कस के दबाया तो थोडा मजा सा आया पर मैंने गौर किया की आज से पहले वो इतना टाइट भी नहीं हुआ था|
मेरे होंठ जैसे सुख से गए थे मैंने सोचा पीछे से ये हाल है तो आगे से क्या नजारा होगा अब मैं कोई नादाँ तो था नहीं की इन सब बातो को समझ नहीं पाता मैं धीरे धीरे अपने लंड को सहला रहा था की तभी साला गजब सा हो गया ताई मेरी और पलटी और उसने मुझे दरवाजे के बीचो बीच खड़ा देखा|
तो एक पल को तो वो भी हैरान रह गयी उसने तुरंत पास पड़े पेटीकोट को खुद के बदन के आगे किया और चिल्लाई- शर्म ना आई तुझे, पता नहीं कब से मुझे देख रहा था तू रुक दो मिनट अभी बताती हु तुझे, ताई की बाते सुनकर मेरी गांड फट गयी और मैं बाहर की और भागा|
पर मेरे कानो में ताई की आवाज गूंज रही थी “भाग कहा तक भागेगा तेरी मम्मी को बताती हु की पूत क्या गुल खिला रहा है तू रुक तो सही.” मैं सूरज के घर से जो भागा तो सीधा चौपाल पर ही आके रुका और वहा मुझे सूरज दिखा|
सूरज – क्या यार कब से इंतजार कर रहा हु कहा गायब था तू.
मैं- भोसड़ी के, मुझ से पूछ रहा है साले इतनी देर से मैं क्या गांड मरवा रहा था यहाँ पे.
वो- भाई थोड़ी देर हो गयी नाराज मत हो पर तू कहा था.
मैं- यही था बटुआ भूल आया था तो लेने गया था चल वैसे ही देर हो गयी है.
हम अपने गाँव के अड्डे पर आ गए और बस का इंतजार करने लगे पर दिमाग में ताई की बाते चल रही थी गलती मेरी ही तो थी ऐसी किसी भी औरत को क्या देखना और वो भी अपने दोस्त की मम्मी को मैंने एक नजर सूरज पर डाली और सोचा इसको पता चलेगा तो ये क्या सोचेगा.
मुझे खुद पर भी शर्मिंदगी हो रही थी पर मेरे दिल में ये बात भी आ रही थी की ताई है गंडास औरत बस चूत देखने को मिल जाती तो मजा आ जाता ख्यालो ख्यालो में बस आ गयी और हम लद लिए उसमे हमारे गाँव से शहर करीब 30-35 किलोमीटर दूर था तो घंटे भर का सफ़र करना था|
एक तो गर्मी का मोसम ऊपर से बस में इतनी भीड़ जैसे सारी दुनिया को आज ही सफ़र करना था बैठने की तो सोचो ही मत ठीक स खड़े हो जाओ तो भी क्या बात है मैं कोशिश कर रहा था की ठीक से जगह मिल जाये खड़े होने की तो इसी कोशिश में एक औरत के बोबो को हाथ लग गया|
उसने बड़ा घुर के देखा मुझे मैंने नजर निचे कर ली अब जान के हाथ थोड़ी लगाया था मैंने परतभी बस ने झटका खाया और मैं उस औरत के पीछे आ गया कुछ देर मैं खड़ा रहा बस आगे बढ़ रही थी सब ठीक ही था पर जब जब ड्राईवर ब्रेक लगता तो झटके से मैं थोडा सा उस औरत के पीछे हो जाता था |
उसने दो तीन पर पीछे मुडके मुझे घुरा भी पर मैं क्या करू यार भीड़ ही इतनी थी की अब एडजस्ट तो करना ही था पर शायद तक़दीर में कुछ और ही लिखा था जैसे जैसे बस सावरिया ले रही थी भीड़ और बढ़ रही थी अब मैं उस औरत से थोडा चिपक कर खड़ा हो गया था|
जैसे ही बस चली वो थोड़ी सी कसमसाई और इसी बीच मेरे लंड वाला हिस्सा उसकी गांड की दरार पर लग गया कसम से मजा ही आ गया और पीछे से जो धक्का आया तो पेल लग गयी उसने मुझे गुस्से से देखा तो मैंने कहा पीछे से धक्का आया है|
पर उसके चूतडो का दवाब मुझ पर पड रहा था तो मेरे लंड में तनाव आने लगा मैं समझ रहा था की ये औरत गुस्से में है उपर से लंड बेकाबू हो रहा है कुछ भी गड़बड़ हुई तो गांड कुटेगी बहुत बस में पर हालत पर किसका जोर चलता है जी तो अपना भी कहा चलता|
एक तो भेन्चो, बस में चिल्लम चिल्ली बहुत थी ऊपर से गर्मी की दोपहर पर कयामत तो साली हमारे लंड में मचाई हुई थी जो उस औरत की गांड में घुसने को मचल रहा था जबकि फ़िक्र हमे अपनी गांड की थी जो कभी भी कूट जाती|
उस औरत के गालो पर पसीने की धारा बह चली थी इधर मेरा लंड लगातार उसके चूतडो की दरार पर रगड़ खा रहा था,मैं मन ही मन डर रहा था पर मजा भी आ रहा था और जैसे जैसे उत्तेजना का स्तरबढ़ने लगा तो दिल से डर कम होने लगा|
फिर बस ने एक झटका लिया तो उस औरत के चुतड पीछे को हुए पता नहीं उसने खुद किये थे या बस हो गए थे किस्मत की बात ये थी की वो रास्ता भी साला ख़राब था|
तो बस के साथ साथ हमारी धक्कमपेल भी हो रही थी इसी बीच मेरा बैलेंस थोडा सा बिगड़ा तो मैंने वो डंडा पकड़ लिया वो बस की छत पर लगा होता है| अब मेरी कोहनी मोहतरमा की चूची से छूने लगी तो और मजा आने लगा उसका चेहरा एक दम लाल होने लगा था|
पर हालात ही ऐसे हुए पड़े थे तो मैं क्या करू मैं तो ये सोच रहा था की अभी इतना मजा आ रहा है तो जब सच में चूत में जाता होगा तो कितना मजा आएगा. मेरा लनड इस हद तक गरम हो गया था की वो औरत भी महसूस कर रही होती साथ ही उसकी चूची से भी जो छेड़खानी हो रही थी|
शायद अब उसको भी मजा आने लगा था पर वो शो नहीं कर रही थी जब तक शहर नहीं आ गया ऐसा ही चलता रहा फिर हम उतरे तो मैंने सुना उसने कहा “बदतमीज.” फिर सूरज और मैं कैंटीन गए दरअसल उसका बाप फ़ौज में था तो हम कैंटीन से सामान लेने आये थे करीब दो घंटे लगे हमे वहा पर उसके बाद हमने समोसे और बूंदी खायी|
सूरज – भाई मुझे कुछ किताबे लेनी है.
मैं- ले ले तो,हम बुक मार्किट में गए तो वहा भी देर लग गयी फिर मैंने अपने लिए कुछ सामान लिया तो शाम ही हो गयी एक तो आये लेट थे ऊपर से दिन ही घुल गया था तो हम फिर आये बस स्टैंड और अपनी बस देखि तो मैंने देखा की वो ही औरत बस में बैठी थी और उसकी पास वाली सीट खाली थी तो मैं उस पर बैठ गया.
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वो- आएगी सवारी यहाँ पर.
मैं- आयेगी तो उठ जाऊंगा.
वो- अभी उठ जा.
मैं- क्यों.
वो- कहा न सवारी आएगी.
मैं- अभी तो ना आ रही.
उसने घुर कर देखा मेरी और और फिर खिड़की से बाहर की तरफ देखने लगी थोड़ी देर बाद बस चली मेरे पैर उस औरत के पैरो से रगड़ खा रहे थे अजीब सा मजा आ रहा था पर अबकी बार कुछ ज्यादा मजे की गुंजाईश नहीं थी |
तो बस ऐसे ही सफ़र काटा अपना,और आ गए गाँव और आते ही मेरे दिमाग में अब हलचल हो गयी की ताई ने घर पे उलहना दे दिया होगा तो आज तो गयी भैंस पानी में अब डर भी लगे पर घर भी ना जाऊ तो कहा जाऊ यही सोच विचार करते हुए मैं चल रहा था|
सूरज – भाई मेरे पास सामान ज्यादा है तो मेरे घर रखवा के फिर चले जाना.
मैं- तू ले जा भाई मुझे एक काम याद आ गया.
वो- भाई दो मिनट की ही तो बात है मेरे से न चल रहा.
अब सूरज को कैसे बताता की उसके घर जाने से बच रहा था मैं पर जाना ही पड़ा दो देखा की ताईजी आँगन में ही बैठी थी हमे देख के बोली- बड़ी देर लगा दी आने में.
सूरज -हां, मम्मी देर हो गयी.
ताई- हाथ मुह धो लो मैं चाय नाश्ता लाती हु.
मैं- मैं चलता हु सूरज .
ताई- ऐसे कैसे चलता हु, मैंने कहा न चाय लाती हु.
अब मैं क्या कहता मैं बैठ गया कुर्सी पर.
सूरज – भाई मैं अभी हाथ-मुह धो के आता हु तू बैठ जरा.
ये साली सिचुएशन भी ऐसी हो रही थी मैं चाहता था की सूरज साथ रहे ताकि ताई कुछ कह न सके मुझे तभी ताई ने रसोई में से आवाज दी मुझे तो मेरी गांड फट गयी मैं डरता डरता रसोई में गया और जाते ही ताई के पैर पकड़ लिए|
मैं- गलती हो गयी ताईजी, वो मैं सूरज को ढूंढ रहा था माफ़ कर दो ताईजी आगे से ऐसी गलती ना होगी.
ताई- न सूरज का तो बहाना है तू उसकी माँ को ताड़ रहा था.
मैं- ना ताईजी, वो तो मैं वो तो………
ताई- वो तो के.
मैं- ताईजी थारी कसम झूठ न बोलू, वो तो थारे को देखा तो मैं हट न सका.
ताई- क्यों न हट सका.
मैं- ताईजी आप हो ही इतने सुन्दर की मियन आपकी सुन्दरता में खो सा गया था.
ताई- झूठ ना बोल मैं तो कित सुन्दर हु देख बुद्धी होने लगी हु.
मैं- नाना ताईजी आप तो बहुत सुन्दर हो.
ताई- पर फिर भी अपने दोस्त की मम्मी को छुप के देखना ठीक नहीं होता.
मैं- इस बार माफ़ी दे दो ताईजी मैंने जाना के नहीं किया.
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इस से पहले ताई कुछ कहती तो सूरज आ गया और फिर हमने चाय बिस्कुट लिए और मैं अपने घर आ गया सब ठीक ही था तो मैं समझ गया की ताई ने शिकायत नहीं की है सांस में सांस आई मैं नहाया-धोया और फिर कुछ काम निपटाए.
रात को मैं छत पर सों रहा था पर नींद नहीं आ रही थी तो मैं बस करवटे बदल रहा था बार बार सूरज की मम्मी का वो सेक्सी फिगर मेरी नजरो के सामने आ रहा था तो मैं उत्तेजित होने लगा और फिर उसको सोच सोच कर ही मैंने दो बार अपना लंड हिलाया.
लंड तो शांत हो गया था पर मेरे दिल में ताईजी के लिए गन्दी फीलिंग्स जगा गया था पूरी रात मैं बस सोचते ही रहा की अगर उसकी चूत मिल जाए तो मजा आ जाये उसके वो सेक्सी नजारे रात भर मेरी आँखों के सामने आते रहे,
अगले दिन क्रिकेट मैच खेलने चला गया मैं तो दोपहर ही हुई फिर जब मैं घर आया तो देखा की सूरज की मम्मी हमारे घर ही आई हुई थी मैं सोचा की अब ये बोलेगी मैं दरवाजे से ही वापिस मुड पड़ा तो मम्मी ने मुझे बुलाया और बोली- तेरी ताईजी आई है कबसे और तू पता नहीं कहा गायब है.
मैं- जी क्रिकेट खेलने गया था.
मम्मी- वो सूरज के नानी की थोड़ी तबियत ख़राब है तो ताईजी कोच्ची जाना चाह रही है.
मैं- तो जाये उसमे क्या है.
मम्मी- बात तो सुन , वो क्या है की सूरज मना कर रहा है की वो नहीं जायेगा तो ये चाहती है की तू इनके साथ जाये वैसे भी छुट्टियाँ तो है ही इसी बहाने कोच्ची घूम आना.
मैं- सूरज क्यों नहीं जायेगा मैं बोलता हु उसको.
ताई- तुम तो जानते हो वो पढाई में थोडा कमजोर है ट्यूशन लगी है उसकी छुट्टियो में भी और फिर घर पे भी तो कोई रहना चाहे बस एक हफ्ते की ही तो बात है|
मैं- पर मैं कैसे?
ताई- कैसे क्या, वैसे तो सूरज के दोस्त हो पर लगता है तुम मुझे नहीं मानते हो तभी तो आना कानी कर रहे हो.
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