धोकेबाज भाभी की खेत में चुदाई (Bhabhi Ki Sex Story)
प्रिया भाभी संतुष्ट नहीं थी तो मैंने उन्हें सहारा दिया और धीरे-धीरे उनके करीब आया। और फिर बाद में हम दोनों की आंखें लड़ गई और मैंने अपनी भाभी की चुदाई खेत में करी। भाभी ने भईया को धोखा दिया और मैंने उनकी बहुत ही जबरदस्त चुदाई करी, जब तक उनको चरम सुख की प्राप्ति ना हो गई।
मैं और मेरी भाभी प्रिया हम दोनों एक गुप्त रिश्ते में थे। मेरे बड़े भैया अक्षर काम के सिलसिले में गांव से बाहर ही रहते थे। और मैं सारा काम घर रहकर संभालता था और घर को देखता था।
क्योंकि भैया महीनों-महीनों तक गांव से बाहर रहते थे तो भाभी बहुत अकेलापन महसूस करती थी। तो में भाभी से बातचीत करता रहता था ताकि उनका मन अच्छा रहे। और मुझे कहीं ना कहीं यह भी पता था कि भाभी को शारीरिक संतुष्टि नहीं मिल रही है, जैसा कई Bhabhi Sex Stories और कई व्यस्क फिल्मो में होता है। । आप किसी औरत को कितना भी खुश कर लो लेकिन शारीरिक संतुष्टि तो मनुष्य जरूरत है।
मुझे यह बात पता थी तो मैंने भाभी के करीब आने की कोशिश करी। भाभी भी मुझे बहुत मानती थी और कहीं ना कहीं मुझे उन नजरों से देखती थी।
धीरे-धीरे मेरी अंतर्वासना भाभी के ऊपर बहुत ही ज्यादा आ गई और मैं भाभी के साथ नाजायज संबंध बनाना चाहता था। भाभी प्रिया और मैं ऐसे ही एक दिन बात कर रहे थे।
और बातों ही बातों में मैंने भाभी से पूछा – क्या आप खुश हो?
प्रिया भाभी ने बोला – खुश रहने से तुम्हारा मतलब क्या है?
मैंने बोला – भैया अक्सर बाहर रहते हैं तो तुम्हें वह खुशी नहीं मिल पाती जिससे तुम हकदार हो।
पूजा भाभी ने थोड़ा उदास सा चेहरा बना लिया क्योंकि उन्हें पता लग गया मैं क्या पूछ रहा हूं।
फिर मैंने उनका हाथ पकड़ लिया और हम दोनों की आंख से आंख लड़ गई। फिर मैंने इस मौके का फायदा उठाया और भाभी के होठों पर एक चुम्मा दे दिया।
पहले तो भाभी बोलने लगी – अरे!! देवर जी ने क्या कर रहे हो।
मैंने बोला – मुझे पता है, भाभी आपको क्या चाहिए और मैं आपको वह, भैया से बेहतर दे सकता हूं।
भाभी समझ गई कि, मैं क्या बोल रहा हूं, और कहीं ना कहीं उनकी अंतर्वासना भी यह चाहती थी।
तो उन्होंने मुझे बोला – यहां नहीं कर सकते क्योंकि यहां पर सब घर वाले हैं।
मैंने बोला – मैं खेत में काम करने जा रहा हूं जब थोड़ी शाम हो तो आप वहीं पर आ जाना चद्दर लेकर।
प्रिया भाभी – क्या मैं सच में यह करना चाहिए?
भाभी मुझे पता है, आपको क्या चाहिए और डरने की बात नहीं है, किसी को कुछ भी नहीं पता चलेगा।
और शाम होने तक भाभी खेत में एक चादर के साथ आ गए और साथ में थोड़ा खाना लेकर भी आई थी।
मैंने बोला – भाभी आप आ गई मैं आप ही का इंतजार कर रहा था।
प्रिया भाभी – मुझे पता है तुम भूखे हो इसलिए, मैं खाना भी लेकर आई हूं।
मैंने बोला – आपको हमेशा पता रहता है मुझे क्या चाहिए।
भाभी कामुकता की नजरों से मुझे देखते हुए – हां!! मुझे पता है, देवर जी…. कि आपको क्या चाहिए!
भाभी ने चादर बिछा दी और हम दोनों साथ में बैठकर खाना खाने लग गए और बातें करने लग गए। जब हम दोनों ने बातें और खाना खत्म कर लिया उसके बाद हम दोनों बस एक दूसरे की आंखों में ही देखते रहे हाथ पकड़कर।
परंतु मेरा ध्यान भाभी की आंखों पर होने के साथ-साथ उनके बड़े-बड़े चुंचो पर भी था। भाभी के स्तन बहुत ही गोल और बड़े-बड़े थे, जो कि ब्लाउज मैसे दिख रहे थे और में bhabhi ki chudai khet mein करना चाहता था।
तो, इसके बाद मैं भाभी के धीरे-धीरे करीब आया। और मैंने अपने दोनों हाथों से उनका चेहरा पकड़ा और फिर मैं उन्हें चूमने लग गया।
भाभी के नरम-नरम और मोटे-मोटे होठों को चूस कर मुझे बहुत ही मजा आ रहा था। हम दोनों के होंठ से होंठ और जबान से जबान लड़ी हुई थी, और हम दोनों एक-दूसरे को वासना रस प्रदान कर रहे थे। और साथ ही मेरे दोनों हाथ भाभी के ब्लाउज के अंदर थे।
उनके बड़े-बड़े स्तन मेरे पूरे हाथ में भरे हुए थे, और मैं उन्हें आटे के गुंडे की तरह दबा रहा था। भाभी के विपुल धीरे धीरे बहुत ही टाइट हो गए थे और मैं उन्हें मरोड़े जा रहा था।
भाभी – आह! आह!! देवर जी बहुत ही मजा आ रहा है…
उनकी यह बात सुनकर मैं भाभी के स्तन और जोर-जोर से दबाने लगा फिर मैंने उनके ब्लाउज के बटन खोल दिया। और मैं उनके बड़े बड़े दूध पीने लगा और साथ ही चूसने भी लगा।
भाभी के नरम नरम और बड़े-बड़े स्तन मैं अपने चेहरे पर मार रहा था “थप्पड़-थप्पड़“। मैंने अपना पूरा मुंह, भाभी के चुंचो में दे रखा था, और मैं अपने गाल उनके स्तनों से रगड़ रहा था।
मैंने भाभी को लेटा दिया चद्दर पर और उनके बड़े बड़े स्तनों के बीच में अपना लंड घुसने लगा। मैंने अपने दोनों हाथों से उनके बड़े-बड़े स्तन पकड़ रखे थे और अपने लंड को में बार-बार घिसे जा रहा था। जितनी बार मैं झटका देता था उतनी बार, भाभी अपना मुंह खोल के मेरे लंड को पप्पी देती थी।
क्योकि में भाभी की चुदाई खेत में ही करता चाहता था तो फिर मैंने भाभी की दोनों टांगों को ऊपर किया और अपना पूरा लंड उनकी चूत में पूरी ताकत से घुसा दिया। भाभी एकदम से चीख पड़ी तो मैंने उनका मुंह दाब लिया और उन्हें चुम्मी देने लगा।
भाभी – आह! आह!! ऊह! अम्म! अम्म!!
मैं भाभी को बहुत जोर जोर से और धकाधक चोदने लगा। उनकी दोनों टांगों को मैंने अपने कंधों पर रख रखा था। और हर बार एक दमदार झटका देकर मैं उनकी चूत को चोद रहा था। भाभी की चूत बहुत ही ज्यादा अच्छी महसूस हो रही थी और उनका रस मेरे लंड पर लगा हुआ था। जिससे मेरा लंड दिला हो रखा था और आसानी से भाभी की चूत में मेरा लंड अंदर बाहर हो रहा था। भाभी के वासना रस से मेरा लंड बहुत ही तेजी से भाभी की चूत में से चल रहा था।
भाभी – धीरे करो…. देवर जी…. धीरे करो!!
परंतु मैंने भाभी की बात ना मानी, क्योंकि मैं वासना में डूब चुका था। और मैं भाभी को चोदा भी जा रहा था और उनके बड़े-बड़े स्तनों के निप्पल को पकड़कर खींच भी रहा था।
फिर मैंने भाभी को घोड़ी बनने को बोला
और भाभी अपनी बड़ी गांड को मोड़कर घोड़ी बन गई। उनकी गांड इतनी बड़ी गोल-गोल और नरम थी। कि मैं अपना चेहरा भाभी की गांड पर भेज रहा था और उसे चाटे जा रहा था।
भाभी – देवर जी…. ऐसा मत करो… वहां गंदा है!
मैंने बोला भाभी आपकी कोई भी चीज गंदी नहीं है बल्कि कामुकता से भरी हुई है।
अपना लंड मैंने पूरी ताकत से भाभी की चूत में घुसा दिया। और मैंने अपने दोनों हाथों से, उनके गांड को पकड़कर, सहारा बना कर, भाभी को धकाधक चोद रहा था।
जितनी बार में भाभी को चोदता था उतनी बार थप्पड़-थप्पड़ की आवाज आती थी। मैं भाभी की गांड को बहुत ही जोर से मसल कर चोदा ही जा रहा था उनकी चूत को। और चोदते-चोदते मैंने अपने अंगूठे को भाभी की गांड में घुसा दी।
भाभी एकदम से चीख पड़ी और बोली – देवर जी….. क्या कर रहे हो? दर्द हो रहा है!!
परंतु मैं पूरी वासना आकांक्षा से भरा हुआ था, और मैंने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया। भाभी की गांड के छेद को सहारा बनाकर, मैं भाभी को चोदा ही जा रहा था।
मेरी अंतर्वासना पूरी तरह से भर रही थी और मेरा झड़ने वाला था।
भाभी – देवर जी.. बहुत ही मजा आ रहा है….. चोदो मुझे… और जोर से चोदो!! तुमने यह सब कहां से सीखा देवर जी।
मैंने बोला – यह सब मैंने “Antarvasnastory.net.in” को पढ़कर सीखा है।
इस बात को सुनकर पता लगा भाभी को भी चरम सुख की प्राप्ति होने वाली थी।
और मैंने अपनी रफ्तार बढ़ा दी और मैं भाभी को किसी कुत्ते की तरह थप्पड़-थप्पड़, धकाधक, घचाघच चोदने लगा। मैं भाभी की चुदाई खेत में बहुत ही जबरदस्त और प्रचंड कर रहा था।
और बस कुछ ही क्षण बाद हम दोनों चरम सुख की प्राप्ति करने वाले थे और हम दोनों ने चरम सुख की प्राप्ति कर ली। भाभी की चूत में से पानी गिरने लग गया और मेरे लंड में से मेरा माल लगने लग गया।
हम दोनों बहुत ही ज्यादा थक गए थे, परंतु इस वासना ने हम दोनों को चरम सुख की प्राप्ति करा दी।
भाभी हाँफते हुए और हस्ते हुए बोली – देवर जी! आज तो तुमने मजा ही दिला दिया.. इतनी संतुष्टि तो तुम्हारे बड़े भैया भी नहीं दे पाए।
मैंने बोला – सिर्फ आज ही क्यों? अगर आप चाहो.. तो मैं आपको ऐसे ही शारीरिक संतुष्टि रोज दे सकता हूं। भाभी जी!
भाभी ने बोला – फिर तो तुम्हारे भैया को आने में अभी एक महीना और है और हम दोनों एक दूसरे की आंखों में देखते हुए हंसने लग गए।
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