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Bur ChudaiDesi Chudai

दीदी की भतीजी की बुर की सील तोड़ी- Bur Chudai

Bur Chudai : मेरा नाम मोहन है। मैं 12वीं में पढ़ता था|मेरे फाइनल एग्जाम खत्म हुए थे और मेरी बहन ने मुझे कॉल किया और कुछ दिन उसके यहां रहने के लिए | बुला लिया। मेरी बहन मेरे घर से करीब 30 किमी दूर रहती थी।

2 दिन बाद मैं उसके घर के लिए चल दिया। मैं दोपहर से पहले ही उसके घर पहुंच गया था।मेरा भांजा छोटा था, मैं उसके साथ खेलने लगा।मेरी बहन के घर में उनके बड़े जेठ और उनकी पत्नी भी थी।

वो सब एक ही घर में रहते थे।दीदी की जेठानी का एक लड़का था और एक लड़की थी।जेठ की लड़की यानि मेरी भांजी की उम्र 17 साल थी।वो दिखने में हल्की सी सांवली थी।

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दीदी की भतीजी की बुर की सील तोड़ी- Bur Chudai

मेरे जाने के बाद बहन और जीजा को घर से दूर खेती का काम मिल गया लेकिन हमें वहां से एक पहाड़ के पास शिफ्ट होना था।हम लोग शिफ्ट होने लगे तो बहन ने मेरी भांजी को भी साथ में ले लिया ताकि मेरे भांजे का ख्याल रख सके।

अब हम दूसरी जगह शिफ्ट हो गए और काम करने लगे।जीजा और बहन काम पर जाते थे।मैं और भांजी छोटे बच्चे को देखते थे और खूब मस्ती करते थे।एक दिन की बात है कि सब साथ में सो रहे थे।

रात में करीब 12-1 बजे मुझे लगा कि कोई मेरे कंबल को खींच रहा है।मैंने कंबल छोड़ा तो भांजी मेरे कंबल में ही आ गई।मुझे लगा कि शायद वो अकेले सोने में डर रही होगी इसलिए मेरे यहां आ गई।

फिर कुछ देर बाद उसने मेरे पैर पर पैर रख लिया और सो गई।2-3 दिन तक रोज ऐसा ही होता रहा।फिर अगली रात को उसने सोते हुए मेरे सीने पर हाथ रख दिया।अब मेरा लंड खड़ा होने लगा।

उसने मेरे होंठों पर उंगली फिरानी शुरू कर दी।इससे मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैंने उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया।हम दोनों अब किस करने लगे।काफी देर चूमने के बाद वो अलग हो गई।

मुझे कुछ समझ नहीं आया और मैं काफी देर सोचते सोचते सो ही गया।रोज ऐसा ही होने लगा।वो मेरे कंबल में आ जाती और हम दोनों आपस में एक दूसरे के बदन को सहलाते।

तीसरे दिन मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसकी सलवार में हाथ डाल दिया लेकिन वो गुस्सा हो गई।फिर मैंने हाथ हटा लिया।अगले दिन फिर मैंने वैसा ही किया।अबकी बार उसने कुछ नहीं कहा।

मैंने फिर उसकी दोनों जांघों के बीच रगड़ना शुरू किया। मेरी उंगलियां उसकी चूत को छूकर आ रही थीं।वो भी गर्म होने लगी।धीरे से मैंने उसकी चूत पर हाथ रखा और आहिस्ता से फेरना चालू किया।

मैंने पहली बार किसी लड़की की चूत पर हाथ लगाया था।बहुत कोमल चूत लग रही थी।उसकी चूत पर बाल आने शुरू हो गए थे।कई दिन ऐसे ही मैं उसकी चूत को रोज रात को सहलाता था।

उसकी चूत से पानी भी निकलता था जिससे मेरा हाथ गीला हो जाता था।मेरा मन करता था कि वो भी मेरे लंड को पकड़े लेकिन वो ऐसा नहीं करती थी।रात को मुझे मुठ मारकर सोना पड़ता था।

फिर एक रात को ऐसे ही हमारा मजा चल रहा था और मैंने उसकी चूत में उंगली देने की कोशिश की।वो मुझे रोकने लगी लेकिन मैंने उसके होंठों को जोर से चूसना शुरू कर दिया।एक हाथ से मैं उसकी चूचियों को दबा रहा था।

उसकी चूत में मैंने उंगली अंदर घुसा दी।अंदर से चूत बहुत गर्म थी और उसमें चिकनाई थी।मैं चूत में उंगली करने लगा।मेरे ऊपर सेक्स ऐसा चढ़ गया कि मैं बस पागल होने वाला था।

मैं आज खुद को रोक नहीं पा रहा था।चूत में उंगली करने में बहुत मजा आ रहा था।उसकी चूत बहुत टाइट थी।कुछ देर बाद मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपनी लोअर पर रखवा लिया।

उसने एकदम से हाथ हटाया तो मैंने चूत में उंगली पूरी जोर से घुसा दी।मैंने दोबारा से उसका हाथ अपने लंड पर रखवाया और अबकी बार वो रखे रही।उसका हाथ बहुत नर्म और मुलायम महसूस हो रहा था।

 

मेरा लंड फटने को हो रहा था।अब मैंने धीरे से उसकी सलवार को नीचे कर दिया।मैं पैंटी के ऊपर से उसकी चूत को रगड़ने लगा।उसने अपने नाइट ड्रेस को ऊपर कर दिया और उसकी चूचियां मेरे सामने नंगी हो गईं।

मैंने उसकी चूत में उंगली घुसा दी और अंदर बाहर करने लगा।ऊपर से मैं उसकी चूचियों को चूसने लगा।आज उसकी चूचियां बहुत टाइट हो चली थीं।अब वो मेरे लंड को हाथ में पकड़ कर सहला रही थी।

उसने बिन कहे ही मेरी लोअर में हाथ डाल लिया और अंडरवियर के अंदर हाथ देकर लंड की मुठ मार रही थी। कुछ देर चूत में उंगली करने के बाद मैंने उसकी पैंटी को नीचे खींच दिया और अपनी लोअर भी नीचे कर दी।

मैंने अंडरवियर निकाला और लंड को उसकी चूत पर लगाकर छेद को ढूंढने लगा।वो भी हल्के हल्के से कसमसा रही थी।फिर एकदम से लंड का टोपा चूत के छेद पर जाकर टिक गया।

मैंने थोड़ा जोर लगाकर लंड अंदर घुसाने की कोशिश की लेकिन टोपा अंदर नहीं जा रहा था।मेरे धक्का लगाते ही वो उचक जाती थी और मुझे पीछे धकेल देती थी।मैंने पहले कभी सेक्स नहीं किया था

उसने भी कभी सेक्स नहीं किया था।इसलिए दोनों को पता ही नहीं था कि कैसे चुदाई करनी है।कई दिन तक ऐसे ही चलता रहा।मैं उसकी चूत पर लंड को टिका कर रगड़ता रहता और धीरे धीरे अंदर घुसाने की कोशिश करता रहता।

2-3 दिन ऐसा करने के बाद उसकी चूत का छेद थोड़ा खुलने लगा और एक अगले दिन टोपा एकदम से अंदर घुस गया।वो छटपटा उठी लेकिन मुझे बड़ा मजा आ गया।

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मैंने उसको कसकर अपनी बांहों में जकड़ लिया और उसके होंठों को चूसने लगा।मेरा लंड अंदर प्रवेश कर चुका था और मैं बता नहीं सकता कि मुझे कितना मजा और खुशी का अहसास मिल रहा था।

मैंने उसको चोदने की कोशिश की लेकिन उसने चुदाई नहीं करवाई।इसलिए मैं बस लंड को धीरे धीरे चूत में डाले हुए ही थोड़ा थोड़ा हिलाता रहा।जब लंड का माल निकलने को हुआ

तो मैंने लंड बाहर खींच लिया क्योंकि मुझे भी डर था कि कहीं कोई गड़बड़ न हो जाए।अगले दिन वो मेरे पास नहीं लेटी।शायद आज उसकी चूत में दर्द हो रहा था।फिर एक दिन के बाद वो अगले दिन अपने आप ही मेरे पास आकर लेट गई।

हमारा खेल फिर से शुरू हो गया।धीरे धीरे उसकी चूत को लंड की आदत हो चुकी थी।अब चुदाई बस होने ही वाली थी।मैंने उसे किस करना चालू किया|थोड़ी देर में भांजी भी मूड में आने लगी।

मैंने उसकी टांगों में हाथ डाला और ऊपर ले गया तो उसने पैंटी भी नहीं पहनी थी।जब मैंने उसकी चूत को छुआ तो उसमें से थोड़ा पानी बाहर आ चुका था।मैंने मेरा लंड निकाला और उसकी चूत पर रगड़ने लगा।

कुछ देर मैं चूत पर लंड को रगड़ता रहा ताकि मेरा लंड और उसकी चूत दोनों ही अच्छे से गीले हो जाएं।अब मैंने किस करते करते लंड को आधा अंदर डाला और बाहर ही नहीं निकाला; बस धीरे धीरे आगे पीछे करता रहा।

भांजी हाथ से मुझे पीछे करने लगी लेकिन मैंने उसकी कमर को पकड़ लिया थाथोड़ी देर मैं किस करता रहा।फिर मैंने उसके हाथ पकड़े और लंड बिना निकाले वैसे ही उसके ऊपर आया।

फिर उसको ऊपर लेटकर मैं अच्छे से किस करता रहा।धीरे धीरे मैं कमर हिलाते हुए लंड चूत में चला भी रहा था।अब उसका दर्द कम होने लगा था।थोड़ी देर बाद मैंने उसकी टांगों को फैला कर लंड थोड़ा पीछे लिया

जोर से अंदर डाला तो भांजी छटपटा उठी।मैंने उसे कसकर अपनी गिरफ्त में जकड़ लिया।कुछ देर तक वो तड़पती रही और फिर शांत हो गई।उसकी चूत में मेरा लंड फिट हो गया था।

कुछ देर तक मैं उसके ऊपर ही लेटा रहा।उसने भी कस कर जकड़ रखा था पर उसके हाथों की पकड़ भी अब ढीली हो गई थी।धीरे धीरे मैंने लंड को अंदर बाहर करना शुरू किया।उसके हाथ अब दोबारा से मेरी पीठ पर आकर कस गए।

धीरे धीरे मैं स्पीड बढ़ाता गया।अब चुदाई होने लगी थी, वो भी मेरा साथ देने लगी थी।मुझे इतना मजा आ रहा था कि मैं बता नहीं सकता।एकदम से गर्म चूत में लंड चल रहा था।

चूत इतनी टाइट थी कि लंड बुरी तरह से फंसता हुआ चूत में अंदर बाहर हो रहा था।मैं उसकी चुदाई करते हुए उसकी चूचियों को भी पी रहा था जिससे उसे भी पूरा मजा मिल रहा था।

वो मेरी पीठ को सहला रही थी और कभी मेरे होंठों को चूमने लगती थी।हम दोनों चुदाई में पूरी तरह से मस्त हो गए थे।लगभग 4-5 मिनट की चुदाई के बाद ही मुझे लगने लगा कि मैं अब और नहीं टिक पाऊंगा।

फिर भी मैं धक्के लगाता रहा और मेरा वीर्य बस निकलने की कगार पर आ गया।भांजी चुदाई के पूरे मजे ले रही थी; उसने कसकर मेरी कमर पर अपनी टांगों को जकड़ा हुआ था।

मैंने एक जोर के धक्के के साथ पूरा जड़ तक उसकी चूत में लंड को घुसा दिया और इसी के साथ मेरे लंड से वीर्य निकल पड़ा।मैं झटके देते हुए उसकी चूत में खाली होने लगा।

मेरे लंड का वीर्य इतना गर्म था कि उसे भी अपनी चूत में मेरा वीर्य महसूस हुआ।दोनों ही अब शांत होते चले गए।कुछ देर तक मैं उसके ऊपर ही पड़ा रहा और वो भी मेरी पीठ को सहलाती रही।

फिर मैंने लंड को बाहर निकाल कर उसकी पैंटी से पौंछा।उसकी चूत को भी मैंने उसकी पैंटी से साफ किया।फिर हम दोनों अलग होकर सो गए।सुबह देखा तो उसकी पैंटी पर खून के लाल निशान हो गए थे।

मैंने लंड को देखा तो मेरे लंड पर भी हल्के लाल निशान थे।भांजी की चूत की सील टूट गई थी।वो चलने लगी तो उसकी चूत में बहुत दर्द हो रहा था।फिर मैंने उसकी मदद की।

घर में किसी को पता न चले इसलिए उसने पेट में दर्द होने का बहाना कर लिया और पूरा दिन लेटी रही।असलियत केवल हम दोनों को ही पता था कि उसके पेट में नहीं बल्कि चूत में दर्द है।

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वो पूरा दिन लेटी रही और इस बीच मौका पाकर मैं उसके लिए दर्द की दवाई ले आया।उसने दवाई ली तो फिर आराम आ गया।उस दिन फिर रात को हमने चुदाई नहीं कि क्योंकि मैं जानता था

कि अगर आज भी चुदाई की तो कुछ भी प्रॉब्लम हो सकती है।दो दिन तक हम दोनों बस एक दूसरे को सहलाते रहे लेकिन लंड और चूत का खेल नहीं खेला।एक गोली लिंग बनाएं फौलादी

फिर दो दिन के बाद मैंने दोबारा से उसकी चूत मारी।अबकी बार और ज्यादा मजा आया क्योंकि भांजी ने भी चुदाई में मेरा पूरा साथ दिया।दोस्तो, मैं काफी दिनों तक वहां रहा और मुझे रोज अपनी भांजी की टाइट चूत मारने का मौका मिलता रहा।

वो भी अब और ज्यादा सेक्सी लगने लगी थी।उसकी चूचियों का साइज धीरे धीरे बड़ा होने लगा था और गांड अधिक ज्यादा गोल और शेप में आने लगी थी।उसके बाद फिर मैं अपने घर लौट आया।

मुझे घर आने के बाद भी उसकी टाइट चूत की याद सताती रही।वो भी मुझे याद करने लगी। उसका मन भी मुझसे चुदने के लिए मचलता रहता था।फिर हमने मिलने का प्लान बनाया

दिन में तीन बार चुदाई करके मजा लिया।वो भी अच्छी तरह खुश हो गई।मैंने बहुत बार अपनी भांजी की चूत चुदाई की।वो चुदाई का मेरा पहला अनुभव था जिसमें मुझे शुरू में सील पैक चूत की चुदाई करने का मौका मिला।

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