सेक्सी साली कुंवारी गांड फाड़ दी जीजू ने – sali ki chudai
sali ki chudai : नमस्कार दोस्तों जैसे की अपने पहले कहानी में पढ़ा की जीजू ने अस्पताल में मेरी चुदाई की अब पढ़े की मेरी कुंवारी गांड फाड़ कैसे फाड़ी | अस्पताल में चुदाई के कुछ दिन बाद मेरे पति विक्रम को अमेरिका जाने का आदेश मिला और उन्हें इस बार करीब एक महीने तक अमेरिका में रहना था।इस दौरान करवा चौथ का त्यौहार भी आ रहा था |
लेकिन मेरे पति इस समय मेरे साथ नहीं रह सकते थे। Jija sali ki chudai उनके जाने के बाद मेरी विनोद के साथ बातचीत चालू हो गई। मैंने उन्हें बताया कि विक्रम अमेरिका गए हैं और मैं महीने भर चारु के साथ ही रहूंगी।
यह सुनकर विनोद की खुशी का ठिकाना न रहा। उन्होंने कहा, साली साहिबा, इस बार करवाचौथ हम आपके साथ मनाएंगे और आपको हमारे हाथों ही अपना व्रत खोलना पड़ेगा।
मैंने कहा, लेकिन मुस्कान भी तो है, उसका क्या? विनोद, चिंता मत करो साली साहिबा, मैंने सारा प्लान बना लिया है। मैंने उनके इरादे के लिए हामी भर दी।हमारे यहां रस्म है
कि लड़की शादी के बाद अपना पहला करवाचौथ अपने मायके में ही मानती है।मुस्कान करवाचौथ के दो दिन पहले ही मायके पहुंच गई थी। विनोद के कहे अनुसार मैंने चारु को भी अपने मायके भेज दिया।
करवाचौथ के एक दिन पहले मेरे घर पर एक पार्सल आया। मैंने भेजने वाले का नाम देखा तो डॉक्टर विनोद लिखा था। मैंने पार्सल रिसीव किया और फिर बेडरूम आकर देखा कि उसमे क्या क्या है?
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उस पार्सल में एक लाल रंग की साड़ी, कंगन, एक सोने का नेकलेस, झुमके, करधनी, पायल थी। मैंने विनोद को कॉल किया। मैं, हेलो जीजू, आपके गिफ्ट के लिए शुक्रिया।
विनोद, शुक्रिया मत बोलो, बस कल इसे पहनकर तैयार रहना. लेकिन एक बात का ध्यान रखना, इस पार्सल में जो है सिर्फ वही पहनना है, उसके सिवा कुछ भी नहीं।
मैं हैरान रह गई क्यूंकि उसमें पेटीकोट, ब्लाउज और ब्रा पैंटी तो थे ही नहीं।मैंने कहा, लेकिन इसे पहनूंगी कैसे क्यूंकि बाकी कपड़े तो हैं ही नहीं? विनोद, मुझे नहीं पता, तुम जानो कि क्या करना है |
मैं जो कह रहा हूं उतना काम होना चाहिए बस! मैंने बेमन से हामी भर दी।अगले दिन करवाचौथ का व्रत था। मैं सुबह से भूखी प्यासी थी और अपने बदन को निखारने में जुटी हुई थी |
मैंने सुहागन स्त्रियों की तरह मेंहदी लगाई और फिर अपने प्राइवेट पार्ट के बाल साफ़ किए। जैसे तैसे दिन बीत गया।रात हुई तो विनोद मेरे मायके गए और चांद निकलने पर उन्होंने मुस्कान का व्रत खुलवाया।
फिर कुछ देर बाद वो अस्पताल जाने के बहाने से निकल गए और मेरे घर पर आ गए। इधर मैंने अपनी कमर पर एक मोटी डोरी लपेटी और उसी के सहारे साड़ी पहन ली।मेरे बदन पर कपड़े के नाम पर सिर्फ यही लाल साड़ी थी।
मैंने अपने वक्ष को ढका और फिर अपना शृंगार किया।मैंने गजरा, काजल, ज्वैलरी सब कुछ पहना हुआ था और खासकर केविनोद की दी हुई करधनी!मैं छत पर गई और पूजा की।
मेरा गोरा बदन चांदनी में चमक रहा था, मैं अपनी साड़ी संभाल रही थी कि कहीं सरक न जाए।पड़ोस की औरतें मुझे ही देख रही थी क्योंकि मैंने ब्लाउज नहीं पहना था और मेरे मोटे स्तन लटके हुए थे।
खैर किसी तरह बचते बचाते मैंने पूजा की और नीचे आ गई।अब मैं विनोद के आने का इंतजार करने लगी ताकि वे आकर मेरा व्रत खुलवा सकें।दरवाजे पर घंटी बजी तो मैंने दरवाजा खोला, सामनेविनोद खड़े थे।
मैंने उन्हें अंदर बुलाया और झट से दरवाजा बंद कर दिया।फिर मैं उनसे चिपट गई और बोली, कितनी देर लगा दी, कब से मैं प्यासी हूं, कहां थे अब तक आप?विनोद, आपकी बहन की प्यास बुझा रहा था
आखिर उनका पहला करवा चौथ था ना!मैंने पानी का लोटा उठाया और कहा, लीजिए और मेरी प्यास बुझाइए।विनोद ने लोटा टेबल पर रख दिया और कहा, आपकी प्यास पानी से नहीं, प्रोटीन शेक से बुझाएंगे हम!
यह कहकर उन्होंने मुझे अपनी तरफ खींचा और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए।हमारे होंठ एक दूसरे के साथ चिपक गए और अब हमारे बीच मुख रस का आदान प्रदान होने लगा।
हम दोनों एक दूसरे की जीभ के साथ खेलते हुए एक दूसरे को चूमते जा रहे थे।उन्होंने मेरा पल्लू मेरी छाती से हटा दिया तो मेरा बदन अर्ध नग्न हो गया।
मेरे लटकते हुए स्तन अब उनकी छाती पर दबाव डाल रहे थे
मेरी कमर उनके मजबूत हाथों के कब्जे में थी।मैं उनका इरादा भांप गई थी इसलिए मैं जमीन पर बैठ गई और फिर उनकी पैंट को सहलाने लगी।विनोद तो जैसे मुझे तरसाने के इरादे से आए थे
इसलिए वो चुपचाप खड़े होकर मेरी हरकत का मजा ले रहे थे।मैंने उनकी बेल्ट उतारी और फिर उनकी जिप खोल कर उनकी पैंट उतार दी।उनके अंडरवियर को अपने दांतों से हल्के हल्के कुरेदने लगी
फिर उसे भी नीचे कर दिया।उनका लिंग अब मेरे सामने था लेकिन आज उसका तनाव कुछ अलग ही था शायदविनोद ने गोली ली थी।मुझे तो ये सोचकर और खुशी हुई
मैंने उनके लिंग के सुपारे को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया।विनोद चुपचाप सावधान मुद्रा में खड़े थे और मैं अपने एक हाथ से उनके लिंग को रगड़ती जा रही थी
अपने होंठ उनके सुपारे पर टिकाए हुए थी।पांच मिनट बाद मेरी मेहनत रंग लाई औरविनोद का लावा फूट पड़ा।मेरा मुंह उनके वीर्य से लबालब भर गया और मैं उनके वीर्य की हर बूंद गटक गई।
उसके बादविनोद ने मुझे पानी पिलाया और बेडरूम में ले गए।फिर वो किचन आए और मेरे खाने के लिए कुछ फल और दूध लेकर बेडरूम में आ गए।विनोद बड़े ही प्यार से मुझे फल खिला रहे थे
मैं दिनभर की भूखी बिना संकोच के उनके दिए फलों का सेवन कर रही थी।खाने के बाद अब मेरे हलाल होने की बारी थी।विनोद ने कहा, साली साहिबा, आज हम आपका नाच देखना चाहते हैं
सुना है कि आप बहुत अच्छा नाचती हैं।मैं, ठीक है जीजू, जैसा आप कहो।मैं उठी तो विनोद ने मेरी साड़ी का पल्लू थाम लिया और कहा, बिना साड़ी के नाचिए साली साहिबा!
मेरे जिस्म पर कपड़े के नाम पर एक यही वस्त्र था।मैंने साड़ी उतार दी तो मैं पूर्ण नग्न अवस्था में आ गई।मेरे गले में हार, बालों में गजरा, कमर मे करधनी, हाथों में कंगन, पैरों में पायल जरूर थे लेकिन बदन पर कपड़े के नाम पर चीथड़ा तक न था।
खैर जब इज्जत नीलाम ही हो चुकी हो तो शर्माना कैसा?मैंने गाना लगायामुन्नी बदनाम हुई’और उस पर थिरकना शुरू कर दिया।मेरे लटके झटके देखकर आंनद भी जोश में आ गए और अपने कपड़े उतार कर नग्न होकर अपना लिंग सहलाने लगे।
गाना खत्म होते होते उनका लिंग पूरी तरह तन्नाया हुआ था।मेरा मटकना अभी खत्म भी नहीं हुआ था किविनोद मेरे पास आए और उन्होंने मेरी पीठ पर हाथ रख कर मुझे अपने निकट किया और खड़े खड़े ही अपना लिंग मेरी चूत में डाल दिया।
अब हम दोनों की कमर लय में एक दूसरे के साथ थिरकती जा रही थी और मेरे मुंह से काम वासना की आहें निकल रही थी।मैंने अपनी एक टांग उठा कर उनकी कमर पर लपेट ली तो विनोद ने सहारा देकर मेरी टांग को धर लिया।
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अब मैंने अपनी बाहों कोविनोद के गले में डाल कर सहारा लिया और खुद को संतुलित किया।विनोद ने मेरे होंठों को अपने कब्जे में लेकर उन्हें चूसना शुरू कर दिया।नीचे उनका औजार मेरी मुनिया की खुदाई करता जा रहा था।
आजविनोद का लिंग अलग ही तरह का तनाव और आकार लिए हुए था।गोली की वजह से उनका सुपारा टमाटर जैसा फूला हुआ था और उसकी नसें खुरदरापन लिए फूली हुई थी
जिसकी वजह से मेरी योनि में रगड़ बढ़ गई थी.उनका सुपारा जब मेरी बच्चेदानी पर ठोकर मारता तो मुझे मीठा मीठा दर्द होता।मेरी योनि तो अब झरना बन चुकी थी जिससे लगातार योनि रस बहता जा रहा था.
उनके लिंग की रगड़ और धक्के की स्पीड इतनी ज्यादा थी कि मैं ज्यादा समय तक इसविनोद को झेल नहीं पाई और मेरी योनि से फव्वारा फूट पड़ा।झड़ने के बाद मेरी योनि ढीली पड़ गई
लेकिनविनोद अभी भी धक्के बखूबी तरीके से लगाते जा रहे थे।मैंने अपनी दोनों टांगे कैंची की तरह उनकी कमर पर लपेट ली और फिर खुद को उनको हवाले कर दिया।
विनोद ने मेरे नितम्बों पर हाथ लगाया और उनके सहारे मुझे उठा उठा कर धक्के लगाने लगे।उनके हर धक्के से मेरे बदन में कम्पन पैदा हो जाता और मेरे कंगन और पायल आवाज करने लगते।
विनोद मुझे उठाकर बेडरूम में ले आए और मेरे बेड के पास बने ड्रेसिंग टेबल पर बिठा दिया।उन्होंने मुझे शीशे से सटा दिया और फिर मेरी चुदाई करने लगे।मेरी आंखें विनोद के मारे बंद हो गई थी
मुंह से जोर जोर की आवाजें आ रही थी।करीब आधा घंटा चोदने और मुझे दो बार स्खलित करने के बादविनोद की जवानी अपने चरम पर पहुंच गई और उन्होंने मेरी चूत को अपने वीर्य से सराबोर कर दिया।
वे किसी जोंक की तरह मुझसे चिपक गए और अपने लिंग का एक एक हिस्सा मेरी योनि की गहराई में उतार दिया।मेरी योनि उनके लिंग का गर्मागर्म वीर्य पाकर सिकुड़ गई.
जब उन्होंने अपना लिंग बाहर निकाल लिया तो उनका वीर्य मेरे कामरस के साथ मिक्स होकर चूत के दरवाजे से बहता जा रहा था।मैंने उंगली से उनके गाढ़े वीर्य को उठाया और मजे से चाट गई, फिर टिशू पेपर से खुद को साफ किया।
अब तक मैं दो बार झड़ी थी इसीलिए मेरी भी सांसेंविनोद की तरह ही तेज हो गई थी।मैं बेड पे लेट गई और खुद को संभालने लगी।मेरे बदन से पसीना बहा जा रहा था और दिनभर से भूखी होने की वजह से मुझे कमजोरी सी लग रही थी।
विनोद आकर मेरे बगल में लेट गए और मेरे स्तनों और योनि को सहलाने लगे।मैं सिसकी भरती हुई उनके साथ इस खेल का मजा ले रही थी।विनोद ने एक एक कर के मेरे जिस्म से जेवर उतार दिए
अब मैं पूर्ण रूप से नग्न अवस्था को प्राप्त कर चुकी थी।10 मिनट बाद जब मेरा जिस्म जरा संभल गया तब मैं उठकर बाथरूम की तरफ चल दी तोविनोद भी मेरे साथ आ गए।मैं कमोड पर बैठ गई और मुत्ती करने लगी।
उधरविनोद ने शॉवर चालू कर दिया।मैं उठकर विनोद के पास आई तो उन्होंने मेरे हाथ दुपट्टे से बांध दिए और एक पाइप में फंसा दिया।उन्होंने मुझे चूमना शुरू कर दिया |
फिर मुझे घुमाकर मेरी पीठ अपनी और और मेरा मुंह दीवार की ओर कर दिया।इस दौरान शॉवर खुला हुआ था और उसकी बूंदें मेरे बदन को भीगा रही थी।विनोद ने मेरे बाल पकड़ कर उनको पोनीटेल की तरह से बांध दिया
फिर मेरे नितम्बों पर चपत लगाई।मैं मदहोशी में इस दर्द का मजा लेने लगी।विनोद ने अपने हाथ मेरे नितम्ब पर फेरने शुरू कर दिए और फिर मेरे नितम्बों की दरार से अपनी उंगलियां गुजारने लगे।
उनका यह अहसास मुझे बहुत उत्तेजित कर रहा था।उनकी उंगली मेरी गांड पर हलचल मचाने लगी, इसका अहसास मुझे बहुत उत्तेजक लगा और मैं तनिक तनिक देर में अपनी गांड को अंदर की तरफ भींचने लगी।
अचानक वो हुआ जिसकी मुझे जरा भी उम्मीद नहीं थी।विनोद की उंगली मेरी गांड में घुसने लगी तो मैं चीखी, आआह विनोद ये क्या कर रहे हो, दर्द होता है मुझे, प्लीज ये मत करो!
लेकिनविनोद ने मेरी एक नहीं सुनी और अपनी बीच की पूरी उंगली मेरी गांड में घुसा दी।मैं दर्द और जलन से सिसकी लेने लगी,विनोद , प्लीज निकाल लो इसे, बहुत दर्द हो रहा है!
जीजू प्लीज मान जाइए, मैं ये नहीं कर पाऊंगी।विनोद, डरो मत साली साहिबा, मैं इतनी आराम से करूंगा की दर्द नहीं बल्कि मजा आयेगा।विनोद आज मेरी गांड मारने के इरादे से आए थे।
उन्होंने कंडीशनर की शीशी उठाई और उससे कंडीशनर निकालकर मेरी गांड पर मलने लगे और फिर अपने लिंग पर भी लेपन लिया।अब उनका लिंग इतना चिकना हो गया था
जैसे मोबिल आयल डालने के बाद इंजन का पिस्टन।उन्होंने मुझे 60 डिग्री पर झुका दिया और मेरी कमर को बाहर की तरफ निकाला।फिर वो अपना लिंग मेरी कुंवारी गांड में डालने लगे।
पहले तो वो कुछ फिसला लेकिन किसी तरह वो अपना सुपाड़ा मेरी गांड के छल्ले में उतारने में सफल हो गए।मेरे चेहरे पर दर्द के भाव थे।मैं होंठों को भींचे किसी तरह अपनी सिसकी रोक कर खड़ी थी।
विनोद ने एक हाथ से मेरी चोटी पकड़ी और फिर धीरे धीरे मेरी पीठ पर किस करने लगे।उनके चुम्बन ने मेरा दर्द कम कर दिया और फिर मैं भी तैयार हो गई, अपनी आबरू लुटवाने के लिए।
विनोद ने अचानक से एक धक्का लगाया और उनका आधा लिंग मेरी आंत में जा घुसा, हाय दईया … मर गई मैं!मेरे मुंह से यही आह निकली तोविनोद ने मेरी चोटी अपनी तरफ खींच ली और फिर से एक धक्का लगाया.
इस बार मैं दर्द से चीख उठी और इसी के साथ उनका लिंग पूरा मेरी आंत में उतर गया।मेरी आंखें दर्द के मारे भर आई और मेरे होंठ कांपने लगे।मेरे मुंह से एक घुटी हुई आह निकली, जीजू….. दर्द हो रहा है।
लेकिन मर्द अपनी हवस मिटाने के लिए औरत को हमेशा दर्द देता आया है।विनोद पर मेरी सिसकी का कोई असर नहीं पड़ा।मेरी गांड अंदर की तरफ सिकुड़ गई औरविनोद के लिंग को पूरी ताकत से भींच लिया।
मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई मोटा गर्म लोहे का रॉड मेरी आंत में घुसा हुआ हो।विनोद को मेरी गांड की कसावट की वजह से धक्के लगाने में दिक्कत पेश आ रही थी, साली साहिबा, अपनी गांड को ढीला करो वरना धक्के कैसे लगाऊंगा।
मैं सुबकती हुई बोली, मुझसे नहीं हो पाएगा जीजू, प्लीज बाहर निकाल लीजिए।विनोद, ठीक है निकाल लूंगा लेकिन इसे ढीला करो तभी तो निकलेगा।मैंने उनकी बात सुनकर अपनी गांड को ढीला छोड़ दिया।
विनोद ने अपना लिंग बाहर खींचना शुरू किया और जैसे ही उनका सुपारा मेरी गांड के छल्ले के पास पहुंचा, उन्होंने पूरे जोर से मेरी गांड में अपना लिंग दोबारा उतार दिया।मेरे मुंह से दर्द भरी चीख निकल पड़ी।
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अब विनोद को मेरी गांड मारने का तरीका पता चल गया था।वो धीरे धीरे कर के मेरी गांड को चोदने लगे और अपना एक अंगूठा मेरे मुंह में और अपनी उंगली से मेरी योनि को सहलाने लगे।
अब मुझे दर्द में कुछ कमी जान पड़ी तो मैं भीविनोद के साथ अपनी चुदाई का मजा लेने लगी।विनोद का हर धक्का अब मेरे जिस्म में दर्द के साथ साथ मजे की लहर भी उत्पन्न करने लगा।
मेरी गांड को पहली बार लंड का स्वाद मिला था।विनोद मेरी कसी कुंवारी गांड को चौड़ा करने की भरपूर कोशिश कर रहे थे और हर धक्के के साथ ही बाथरूम में थप थप का संगीत गूंज उठता।
मेरी गांड का दबाव इतना ज्यादा था किविनोद ज्यादा देर तक कायम न रह सके और करीब 15 मिनट बाद ही उनका वीर्य फूट पड़ा।मुझे मेरी गांड में बहा उनका गर्मागर्म वीर्य एक अनोखा अहसास दे रहा था।
यह पहला मौका था जब किसी ने मेरी गांड मारी थी.लेकिन आखिरी नहीं …इसके बाद तो जैसे एक सिलसिला ही शुरू हो गया।औरत की गांड की चुदाई के बारे में मैं आपको आगे की कहानियों में बताऊंगी।
खैर झड़ने के बाद विनोद ने मुझे आजाद किया और फिर शॉवर तले नहला धुला कर मुझे बिस्तर पर लिटा दिया।मेरे बदन में बहुत तेज दर्द हो रहा था इसलिए विनोद ने मुझे पेन किलर दी
फिर हम दोनों एक दूसरे के साथ नग्नावस्था में ही सो गए।तो दोस्तो, कैसी लगी आपको ये औरत की गांड की चुदाई की कहानी?अपने विचार कॉमेंट बॉक्स में जरूर दीजिए।आपके प्यारे प्यारे कमेंट्स का इंतजार रहेगा।पढ़ने के लिए शुक्रिया।मैं जल्दी ही अगली कहानी लेकर हाजिर होऊंगी।