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Hindi Sex Story

16 साल की कमसिन कली की ठुकाई – Hindi Sex Story

Hindi Sex Story: हैल्लो दोस्तों ,मैं मानसी आपको अपनी सेक्सी कहानी सुना रही हूँ| मेरी सेक्सी चुदाई कहानी सुनकर मुजको यकिन है की सभी लड़कों के लंड खड़े हो जाएँगे|

तो कहानी शुरू करती हूँ| मैंने उन दिनो दिल्ली यूनिवर्सिटी में नया नया दाखिला लिया था| मैंने b.com में नाम लिखवाया था|सब्जेक्ट्स में मैंने इंग्लिश, राजनीत शास्त्र और मनोविज्ञान लिया था|

इंग्लिश मुजको बड़ी कठिन लगती थी| मुझको मोहन सर इंग्लिश पढाते थे| वो बहुत ही अच्छा पढाते थे| वो साउथ इंडियन थे और केरल के रहने वाले थे| मेरे घर वालों ने कहा की मैं उनसे ट्यूशन पढ़ लूँ|

मैं उनके पास गयी|सर, क्या आप मुझको ट्यूशन पढ़ा देंगे?? मैंने उनसे कहा|मैं उस समय सिर्फ 16साल की कमसिन कली थी| सर ने एक नजर मुझको सर से पाँव तक देखा|

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16  साल की कमसिन कली की ठुकाई - Hindi Sex Story

मैं निहायत ही जवान और खूबसूरत थी| मेरे मम्मे कुछ दिन पहले ही बढ गये थे और अब मैं हर आदमी की नजर में आने लगी थी| मेरे मम्मे अब बढ़कर पुष्ट हो गये थे|

मेरी गल्ली का हर लड़का कहीं न कहीं मुझको पसंद करता था| या साफ साफ करू मुझको चोदना चाहता था| सर ने भी मुझको एक बार निचे से उपर तक देखा|

मोहन सर के बारे में लोग अलग अलग बात करते थे| कुछ तो कहते थे की वो बहुत अच्छे आदमी है| बहुत अच्छा पढाते है|जो उनसे पढता है वो फर्स्ट क्लास पास हो जाता है|

जबकि कुछ लोग कहते थे की वो अपनी चेलियों का योंन शोषण करते है| एक बार पुलिस उनको इसी सब मामले में पकड़ भी चुकी थी| पर जादातर लोग कहते थे

की अगर कोई लड़का रावमोहन सर से पढ़ ले तो उसको अच्छे नम्बरों से पास होना पक्का है|यही सब सोच के मैं उनसे ट्यूशन पढ़ना चाहती थी| मैं उस दिन एक गुलाबी रंग की कुर्ती पहन रखी थी|

पैरों में मैंने एक लेगी पहन रखी थी| मेरी गुलाबी रंग की कुर्ती काफी चुस्त थी, जिसमे मेरे मम्मे साफ साफ झलक रहे थे| मैंने एक झीना दुपट्टा भी डाल रखा था| पर मेरे मस्त मस्त गोल गोल मम्मे साफ साफ झलक रहे थे|

मेरी छातियों का उभर सारे ज़माने को चीख चीख के बता रहा था की मैं अब जवान हो गयी हूँ और चुदने लायक हो गयी हूँ| ३ साल पहले तक मुझको कोई लड़का नहीं गुर कर देखता था

पिछले ३ सालों में मुझको पता ही नहीं चला , कब मेरे मम्मे इतने बड़े हो गए|मोहन सर ने भी मुझको उपर से निचे तक गुर कर देखा|क्या दोगी? वो बोले|क्या?

मैं कुछ समझ नहीं पायी सर? मैंने कहा|मेरा मतलब है कितना पैसा दोगी? सर बोलेसर मैं आपको १ हजार तो आराम से दे दूंगी मैंने कहा|शाम को घर आ जाओ मानसी !! सर बोले|

मैं बहुत ही खुश हो गयी| अब मेरी भी फर्स्ट क्लास पक्की हो गयी है| सर वही यूनिवर्सिटी के कैम्पस में रहते थे| मैं शाम ६ बजे उनके घर पर पहुच गयी| मैंने घंटी बजायी|

सर मझे कोई और है, वे इकदम से निकल आये| उन्होंने सिर्फ एक रूपा वाला अंडरवियर पहन रखा था| सर कोई 36 साल के होंगे|

वो अचानक से बाहर निकल आये| मैंने उनका नंगा सीना, सीने पर उनके सफ़ेद काले मिले घुंघराले बाल देख लिए| इतना ही नहीं सर तिकोनी, अंडरवियर में थे तो मैंने उनका पोता भी देख लिया|

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16  साल की कमसिन कली की ठुकाई - Hindi Sex Story

लंड और उनका पोता उनके अंडरवियर के अंदर था और खूब फूला फूला था| मुझको समझते देर न लगी की सर का लंड बहुत बड़ा होगा, मोटा होगा और गोलियाँ भी खूब बड़ी बड़ी होगी|एक सेकंड बेटी !! सर ने कहा|

मैं बाहर ही रुक गयी| वो अन्दर चले गए और जल्दी से शर्ट पैंट पहन ली| मानसी ! सर ने आवाज दी| मैं अन्दर गयी| सर पढाने लगे|

जब उस रात मैं अपने कमरे में सोने गयी तो बार बार मुझको सर का वो बड़ा सा लंड और पोता याद आ रहा था| सर की बीवी केरल में ही रहती थी|

मैं सोचने लगी की सर किसको चोदते होंगे| आखिर कैसे अपने लंड की गर्मी शांत करते होंगे| सर भी मर्द है| उनका भी किसी को चोदने का मन तो जरुर करता होगा|

यही सब सोच सोच के मैंमोहन सर को याद करके मुठ मारने लगी|मैंने उनको याद कर कर के उस दिन अपनी चूत में खूब ऊँगली की, फिर झड गयी| तो इस तरह दोस्तों हम गुरु चेली की पढाई शुरू हो गयी|

सर मुझको मेहनत से पढाने लगे| एक दिन उनका चाय पीने का मन हू तो बोले मानसी बेटी! मुझको तुम बस एक प्याला चाय बनाकर दे दिया करो, मैं तुमसे कोई फ़ीस नही लूँगा|

मैं तो गरीब घर की बेटी पहले से थी मैं सर को अब चाय बनाकर देने लगी| मैं अपने लिए भी चाय बना लेती| पढाई के बाद हम गुरु चेली साथ में चाय पीते| एक दिन मैं सर के घर पर उनका इन्तजार कर रही थी|

उनका लैपटॉप ऑन था| सर टोयलेट चले गए थे| मैंने लैपटॉप को छुआ तो पता चला की सर ब्लू फिल्म देख रहे थे|मैं भी देखने लगी क्यूंकि वहां पर और कोई नहीं था|

मैंने सोचा की सर तो टोइलेट गये है, क्यूंकि न थोडा मुठ मर लूँ| और मैं अपनी चूत में ऊँगली करने लगी| पता नही कहाँ से सर आकर कबसे मुझको देख रहे थे| मेरी करतूत को वो कबसे देख रहे थे|

मैंने सर को देख लिया तो मेरा होश उड़ गया| सर मेरे पास आगये और मुझको गले से लगा लिया|बेटी मानसी ! तुम अगर बुरा न मानो तो एक बात कहूँ? सर बोले|

मैंने अपने कपड़े ठीक किये| अपनी नीली स्कर्ट मैंने निचे की| इसी स्कर्ट को उपर करके मैं मुठ मार रही थी|मानसी ! मैं तुमसे प्यार करने लगा लूँ!!मोहन सर बोले|

पर सर ?? कहाँ आप इतने उम्र दराज कहाँ मैं इतनी कम उम्र की?? मैंने कहा|ओह्ह , समझ गया| मैंने उम्र दराज हूँ| इसलिए तुमको पसंद नहीं??मोहन सर बोले|नही सर, वो बात नही है !!

मेरे मुह से निकल गया|तो क्या तुम भी मुझको पसंद करती हो ?? सर ने पूछा|जी सर!! मैंने भी कह दिया|बस दोस्तों,मोहन सर ने मुझको गले से लगा लिया|

हम दोनों बेडरूम में आ गए| सर ने बिना एक सेकंड बताए मुझको बाहों में भर लिया| मैंने भी कोई ऐतराज नही किया| सर मेरे रसीले होंठ पीने लगे| मैंने कुछ नहीं कहा|

कबसे मैं सर के सीने के बड़े बड़े घुंघराले बाल देख देख के मुठ मारती थी| आज वो बड़ा सा लंड मुझको मिलने वाला था|दोस्तों, मैं तो अपने सर से ही फस गयी थी|

सर जोश से मेरे लब पीने लगे| मेरे बदन की मस्त खुसबू उनकी नाक में उतर गयी| मैंने उस वक्त सफ़ेद रंग की चुस्त शर्ट और निचे नीली स्कर्ट पहन रखी थी| सर के हाथ मेरे सफ़ेद शर्ट पर मेरे मम्मो पर दौड़ने लगे|

मुझको भी मजा मिलने लगा| कबसे सोच रही थी कोई मेरे दूध की तारीफ करे| मेरे मस्त गोल गोल बड़े बड़े रसीले मम्मो पर हाथ मेरे, छुए, सहलाये, दबाए और आज मेरी इच्छा पूरी हो रही थी|

सर एक ओर जहाँ मेरे रसीले होंठों को पी रहे थे, वही मेरी छातियों को छु, सहला और हल्का हल्का दबा रहें थे|आज एक मर्द की छुअन से मेरी अंडर की एक जवान होती औरत जाग चुकी थी|

अब मेरा तो दिल यही कर रहा था की कापी किताब को एक तरफ रख दू| सर से बस ये कह दू की सर!! आप मुझको चोद चोद के आज एक औरत बना दीजिए| दोस्तों, बस यही मेरा दिल कह रहा था|

मैंने शर्म से अपनी आँखें बंद कर ली| अब मैंमोहन सर के बेडरूम में थी| जहाँ इनकी औरत इनसे चुदती थी| मैंने सोचने लगी की मैं कितनी भाग्यशाली हूँ की आज उस अंदर के बेडरूम में मैं आ गयी|

सायद आज मैं भी चुद जाऊ और इनका लंड खा लूँ| अब सर की कामपिपासा बहुत प्रबल हो गयी थी|उन्होंने भूखे शेर की तरह छड भर के मेरे सफ़ेद शर्ट के बटन खोल दिए और शर्ट निकाल दी|

मैं अब सफ़ेद कॉटन ब्रा में आ गयी| १० १२ साल से मेरी माँ मुझको यही सफ़ेद कॉटन ब्रा पहनाती है| सर के हाथ अब मेरे मम्मो पर आ पहुचे| मैं तो चौक गयी|

शायद आज वो मेरा कौमार्य भंग कर दे| मैंनेमोहन सर को कुछ नही कहा| उनको पूरी आजादी दे दी| सर से मेरे दाये मम्मे को हाथ में ले लिया|

जहाँ मैं पतली दुबली और ५० ६० किलो की थी परमोहन सर भीमकाय बदन के थे| सर का हाथ का पंजा मैंने उस दिन पहली बार नोटिस किया|

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16  साल की कमसिन कली की ठुकाई - Hindi Sex Story

सर का पंजा बहुत बड़ा था, उँगलियाँ भी खूब मोटी मोटी थी| मेरा बड़ा सा दायाँ मम्मा पूरा का पूरामोहन सर के पंजे में समा गया| सर को मस्ती सूझी और ये धचाक से उन्होंने मेरा मम्मा बस के होर्न की तरह बड़ा दिया|

आऊ!! उछ !! मैं चिहुक गयी|सर धीरे करिये!! बहुत दर्द होता है! मैंने कहा|पता नही मोहन सर कितने चुदासे थे| मेरी बात का उनपर कोई असर न हुआ|

जोर जोर से मेरे दोनों होर्न वो बेरहमी से दबाते रहे| मैंने चीखती चिल्लाती रही, पर उनको कोई फर्क नही पड़ा| मुझ जैसे 16 साल की लौंडिया को वो जल्द से जल्द वो चोद खा सके|

ये सोचके उन्होंने मुझको बिस्तर पर लिटा दिया|मेरी ब्रा के हुक खोल दिए, और एक ओर रख दी| हाय, अपने गुरूजी के सामने उनकी चेली नंगी हो गयी थी| सर मेरे बाप के उम्र के थे, पर वो भी मुझको चोदना चाहते थे|

वही मैं भी उनसे चुदना चाहती थी| मेरे नए कमसिन मम्मो को सर ने देखा तो उनकी लार चु गयी|आसक्त नजरों से वो मुझ पर चढ गए और मेरे मम्मो को पीने लगे|

ओह्ह आह !! कितना सुख मिला मुझको| कबसे मैं सोच रही थी कास कोई मुझको चोद दे और देखो आज मेरे गुरूजी ही मुझको चोदने वाले है| कहाँ मैं नन्ही सी जान, फुल सी हल्की, और कहाँ भारी भरकम १०० किलो के मेरेमोहन सर|

वो मस्ती से मेरे दोनों मुलायम मम्मो को दांत ने चबा चबा कर पीते रहें| मैं उनके बड़े से भीम जैसे सर पर मैं अपने नाजुक हाथ फेरती रही| लग रहा था सर अपनी माँ का दूध पी रहें थे|

आज के लिए मैं अपने सर की माँ बन गयी थी| दोस्तों आधे घनटे तक सर मेरे दोनों मम्मो को पीते रहें| दूसरी तरह मेरी चूत पानी पानी हो गयी|

सर अब मुझको चोदो!! वरना मैं मर जाउंगी! आखिर मैंने कह ही दिया| हलाकिमोहन सर का मन अभी और मेरे दूध पीने का था| सर ने मेरी नीली स्किर्ट नही उतारी| बस ऊपर उठा दी|

मैंने लाल सूती पैंटी पहन रखी थी| मेरी बुर के पानी से कबसे मेरी पैंटी पानी पानी होकर भीग गयी थी|सर ने मेरी पैंटी निकाल दी| अपना मुंह मेरी बुर पर ऐसा रख दिया

जैसे पूजा करने वाला आदमी दरगाह पर अपना मत्था टेक देता है| और उसको ही खुदा मान लेता है| दोस्तों,मोहन सर के लिए तो आज मेरी कमसिन १८ साली की चूत किसी दरगाह से कम नही थी|

मोहन सर मेरा बुरपान और चूतपान करने लगे| सर ने मेरी चूत पर सरेंडर कर दिया| मेरी चूत को खुदा समझने लगे| उनको पीने लगे, अपना सिर सर ने मेरी दो टांगों के बीच रख दिया था|

मस्ती से मेरी चूत पी रहें थे| अपनी जीभ चला चला के मेरी बुर पी रहें थे|मेरी गुलाबी चूत बिलकुल मलाई जैसे थी| मैं बहुत गोरी थी, इस कारण मेरी चूत भी खूब गोरी थी| सर तो बिलकुल पागल हो रहे थे|

फिर उन्होंने २ उँगलियों से मेरी चूत फैला दी और मस्ती से पीने लगे| सिर से मुझको नही चोदा| कहाँ मैं सोच रही थी, सर मुझे जल्दी से चोदना शुरू कर देंगे पर सर तो टेस्ट मैच खेलने लगे|

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16  साल की कमसिन कली की ठुकाई - Hindi Sex Story

कम से कम ४० मिनट बाद सर ने मुझको चोदना शुरू किया| मेरी बुर पर उन्होंने अपना हथोड़ा जैसा लंड रखा| एक दो बार प्यार से अपने हथोडे से मेरी बुर पर थपकी दी|

फिर अपना पहलवान लंड मेरी चूत के द्वार पर रखा और जोर से धक्का दिया| उनके लंड २ इंच मेरी चूत में उतर गया| मैं छटपटाने लगी, सर ने जल्दी से मेरे दोनों हाथों को अपने १ कुंतल के वजन से रोक लिया|

मैं बहुत तड्प रही थी की इतने मेंमोहन सर ने एक और धक्का ढेल दिया|उनका ८ इंच का लंड मेरी चूत पर बिना कोई रहम किये अंदर घुस गया| गाढ़े रंग की खून की बुँदे मेरी चूत ने निकलने लगी|

मुझको बड़ा दर्द होने लगा| सर! बाहर निकाल लीजिए! मैंने सर से कहा| सर ने मुझको सुना ही नही| बस मुझको चोदने लगे| बहुत दर्द हो रहा था| मैं चिल्ला न सकू|

इसलिए सिर ने अपने शेर जैसे पंजे को मेरे मुह पर रख दिया| दोस्तों, मेरी चीख घुट गयी| सर, मुझको चोदने लगे| मैं भी अपने गुरूजी से चुदने लगी| दोस्तों आधे घंटे तकमोहन सर ने मुझको चोदा और फिर झड गये|

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