सुहानी एक गर्म मेहमान part-1 ( Hindi Sex Story)
हेलो दोस्तो, मेरा नाम सुहानी है और मैं पंजाब के पास एक गांव में अपनी सास और ससुर के साथ रहती हूं, मेरे पति आर्मी में है, मेरी हाइट 5′-2″ कि है और मैं स्लिम बॉडी की मल्किन हूं, मेरे बड़े बड़े स्तन (32) एक दाम गोल मटोल है और आगे को तने हुए रहते हैं, मेरी पतली सी (28) कमर है और उसके नीचे तो कयामत है मतलब मेरी बड़ी सी गांड (36) जिस को मैं बड़े ही मदमासत अंदाज से लटककर झटक कर चलती हूं, और फिर मेरी गांड तक लहराते हुए
मेरे काले रेशमी बाल देखकर तो लड़कों के होश उड़ जाते हैं, और लड़के ही नहीं मुझे देख कर तो बड्डों के मुह में भी पानी आ जाता है, अब मैं अपनी तरफ छोड़ के कहानी पर आती हूं, पिचले माहीने की ही बात है मेरे मौसी की बेटी की शादी थी दिल्ली में, और मैं मौसी जी के कहने पर क्रीब 10 दिन पहले उनके पास
चली गई, अब पहलो 2 दिन तो मुझे मेरी कजिन सिस्टर नेहा और मेरे कजिन ब्रदर गोपी ने दिल्ली घुमाई और फिर हम शॉपिंग वगेरा में बिजी हो गए।
हमारे साथ मौसा जी के भाई का लड़का रणजीत भी हमारी मदद करता है, घर में शादी का महल था तो हम लोग देर रात तक जगते और फिर सुबह ही उठते हैं,
रणजीत भी वही रुक जाता है, और इससे मुझे यहां जगह मिलती है सो जाते , रणजीत देखने में तो शर्मिला सा था मगर वो लड़कियों के एक अंग को बड़ी लज़ीज़ नज़रों से देखता, ये मैंने तब नोट किया जब वो हमारे साथ मार्केट जाता था, और अक्सर ही मुझे भी बड़े ध्यान से देखता मगर जब मैं उसकी तरफ देखती तो वो दूसरी तरफ देखने लग जाती है, एक रात जब हम सोने की तैयारी कर रहे हैं
तो मैं बाथरूम में चली गई और जब मैं लौटी तो देखा की सब लेटे हुए हैं, मौसा जी और मौसी जी अलग रूम में थे, एक रूम में गोपी और रणजीत बेड पर सो रहे थे और उनके पास ही नेहा भी सो रही थी, मैंने सोचा कि मैं दूसरे रूम में जाकर अकेली सो जाति हूं, मगर जब मैंने वहां जकार देखा तो वहां पर पड़े सिंगल बेड के ऊपर देर सारा समान पड़ा हुआ था , फिर मैंने सोचा कि नेहा के पास ही नीचे सो जाति हूं और मैं नेहा के साथ में जाकर सो गई।
मगर कुछ देर सोने के बाद भी मुझे नीचे नींद नहीं आ रही थी, तो नेहा ने कहा कि दीदी आप ऊपर बिस्तर पर सो जाओ आप किशोर तो बिस्तर पर सो जाउगे, फिर नेहा ने कहा कि मैंने इसी लिए नीचे छतै बिछाई द कि आप ऊपर सो जाना,
मैंने गोपी और रणजीत के पास सोने में हिचकिचाहट दिखाई तो नेहा ने कहा दीदी वो आपकी भाई ही तो है, मैंने बिस्तर की तरफ देखा तो एक किनारे पर गोपी तो रहा था और उसके साथ रणजीत सो रहा था और पास वाली जगह खाली पड़ी थी, वो दोनो गहरी नींद में सो रहे थे,
मैंने भी सोचा कि ये तो सो रहे है, और मैं रणजीत के पास वाली जगह पर लेट गई, मगर अब मुझे नींद कहां आने वाली थी, पास में मर्द लेटा हो और मुझे नींद आ जाए, हो ही नहीं सकता, मैंने रणजीत की तरफ देख थी कि वो सो रहा है या जग रहा है, मगर वो सच में सो रहा था, मेरी नजर उसके लंड वाली जगा पर गई, वहां पर कुछ भी हिलजुल नहीं थी, मगर मेरे बदन में अब आग लग रही थी, मैं सेक्स के लिए बेचैन होने लगी थी, मगर ये तो होना मुझे मुश्किल लग रही थी।
क्योंकि गोपी मेरा भाई था और रणजीत भी तो मेरे भाई की तरह ही था, मैं सोने की कोशिश कर रही थी, मगर मुझे नींद नहीं आ रही थी, मैंने उठ कर देखा तो नेहा भी सो चुकी थी|
मैंने कमरे की लाइट ऑफ करदी और फिर से सोने की कोशिश करने लगी, तबी थोड़ी देर रणजीत ने करवट बदली और वो मेरी तरफ घूम गया, उसकी एक टांग मेरी टांग के ऊपर आ गई और उसका बाजू मेरे गले के ऊपर आ गया, मुझसे लगेगा कि सय्यद अब रणजीत जग जाएगा |
इस लिए मैं बिना हिले चुप चाप पकड़ लेती रही, मगर मुझे उसका सपरश मास करने लगा था, मेरा मन कर रहा था कि मैं भी करवट बदल कर उसके साथ चिपक जाऊं, फिर जब कफी देर के बाद भी वो नहीं हिला तो मैं खुद ही सीधे लेते ही उसके पास हो गई|
अब उसकी छाती मेरे बाजू को छू रही थी और उसका एक हाथ मेरे बूब्स के ऊपर से होता हुआ मेरी दूसरी तरफ जा रहा था, मेरी जांघ अब उसकी लंड के बिल्कुल पास थी और उसकी जांघ मेरी जांघके ऊपर थी, मैंने धीरे से अपना हाथ उसकी पेंट पर लगा और उसकी लंड देखने लगी।
मैंने पेंट के ऊपर से ही उसका लैंड पकड़ा, मगर वो भी राहुल की तरह ही सो रहा था, मैंने अपनी जांघ बिल्कुल उसके लंड के साथ दाबा दी, और खुद भी उसके साथ लेटी सोचने लगी कि काश इससे ही रणजीत मुझे चोद दे। तबी अचनक रणजीत ने फिर हिलना शुरू किया, मैं थोड़ी सी सहम गई और वेसे ही लेटी रही, रणजीत सयाद अब नींद से थोड़ा सा बहार आया था,
इस लिए हमने और यहां ही मेरी बॉडी को हाथ लगा कर देखना चाहता हूं कि मैं हूं। मगर उसका हाथ सीधा ही मेरे बूब्स बराबर लगा, बूब्स बराबर हाथ लगते ही सयाद वो समाज गया कि उसके साथ एक लड़की सो रही है और उससे झट से अपना हाथ और टांग पीछे खींच ली, वो थोड़ा सा पीछे होकर लेट गया, मगर उसकी सांस से अब लग रहा था
कि बिजली के जिस हाई वोल्टेज को उससे छूआ है उससे उसकी नींद उड़ गई है, फिर वो अपने बिस्तर से उठा और लाइट जला कर उसकी मेरी तरफ देखा, मैंने उससे ही आंखें बंद करके लेती रही तकी रणजीत समझने की मैं भी सो रही हूं, फिर उसने लाइट बंद कर दी और फिर से मेरी बगल में आकार सो गया।
शायद वो ये देखना चाहता था कि कहीं मैं नेहा तो नहीं, थोड़ी देर तक तो वो चुप चाप लेटा रहा, फिर उसे अपना हाथ धीरे धीरे मेरी तरफ बढना शुरू किया और मेरी बाजू के ऊपर अपना हाथ रख दिया, जब मेरी तरफ से कोई हिलजुल नहीं हुई तो उससे मेरी जांघ के साथ अपना लंड चिपका लिया,
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मगर अब उसकी लंड मेरी जांघ पर ऐसा लगेगा जैसे कोई लोहे का राड हो एक दम ताना हुआ, मैं मन ही मन खुश हो रही थी कि कितने दिनों के बाद लंड का सपरश तो मिला, अब धीरे से उसके मेरे पेट पर हाथ भी रख दिया, मैंने नाइटी पहनी हुई थी, जिस्मे उसका हाथ नहीं घुस सकता था,
मगर उसे नाइटी के ऊपर से ही अपना हाथ ऊपर को बदाते हुए हुए मेरे बूब्स पर हाथ रख दिया, और धीरे धीरे मेरे बूब्स को मसलन लगा, अब तो मुझे चुप चाप लेटे रहना मुश्किल लगने लगा था, मेरे बदन में ज्वालामुखी फूट रहे और गला सुखा रहा था, अब रणजीत अपना मुह मेरी गर्दन के पास ले आया था और अपनी नाक मेरे खुले बालों में घुसा कर सांस अंदर को खिन्कने लगा।
जैसे वो मेरे बालों की खुश्बो ले रहा हो, उसका हाथ भी अब मेरे बूब्स मेरे ज्यादा अंदर डाल रहा था और उसका लंड मेरी जांघ पर, मुझसे अब और देर तक चुप रहना मुश्किल था, मैंने भी करवट बदली और रणजीत को अपनी बाहों में ले लिया, मगर मेरे ऐसा करने से रणजीत डर गया, मगर जब मैंने उसकी पीठ पर हाथ फिराया तो वो समाज गया कि मैं भी ऐसा ही चाहती हूं और उसे भी मुझे अपनी बहनों में ले लिया, हम दोनो एक दूसरे के साथ चिपके हुए थे,
रणजीत ने मेरे होठो अपने मुह में लिया और मेरे लबों का रस चुसने लगा, मैं भी उसका साथ दे रही थी, वो मेरी पीठ पर, मेरे बालों में और मेरी गांड पर अपना हाथ घुमा रहा था और मैं भी उसकी पीठ पर और उसके बालों में अपना हाथ घुमा रही थी, क्रीब 5 मिंट तक हम ऐसे ही मुह में मुह डाले एक दूसरे से चिपके रहे, फिर वो मेरे ऊपर आ गया और अपने लंड को मेरी चुत वाली जगह पर रागदने लगा, हम दोनों के बदन आग के जैसे गर्म होने लगी |
रणजीत ने एक हाथ से मेरी नाइटी को ऊपर खींचे की कोशिश की, तो मैंने भी अपनी गांड उठा कर उसका साथ दिया, उसे मेरी नाइटी को मेरी कमर तक उठा दिया और अपना लंड मेरी पेंटी के ऊपर से मेरी चुत पर रगड़ने लगा, अब मैंने उसके पाजामे को नीचे किया और उसका लंड हाथ में ले लिया,
क्या लंड था उसका, एकदम ताना हुआ और क्रीब 9 इंच तक लंबा, हाथ में पकड़ते ही मुझे पता चल गया कि ये मुझे जरा खुश करेगा, हम दोनों अपने अपने काम बड़े आराम से कर रहे थे कि पास में तो रहे गोपी और नेहा को पता न चल जाए, मगर रणजीत तो जैसे पागल हो रहा था, उसे मेरे कान में मुझे बहार आने के लिए कहा, और खुद मेरे ऊपर से उठ कर बहार चला गया ,
मुझे भी पता था कि यहां पर वो सब कुछ करना खतरे से खाली नहीं है, मैं भी उसके पीछे पीछे बाहर चली गई, हमने धीरे से दरवाजा बंद किया और वो मुझे दसरे रूम में ले गया, वहां पर पड़े बिस्तर के ऊपर तो पहले से ही समन बिखरा हुआ था।